भारत में धान की कई किस्मों की खेती की जाती है, लेकिन एक ऐसी किस्म भी है जिसका इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा है. इस धान का नाम है काला नमक. यह अपनी अनोखी खुशबू, स्वाद और स्वास्थ्य लाभों के लिए जाना जाता है. आज भी मुख्य रूप से पूर्वी भारत के क्षेत्रों में इसकी खेती की जाती है. हालांकि, समय के साथ यह किस्म लगभग लुप्त होने के कगार पर पहुंच गई थी.
इस स्थिति को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने इस दुर्लभ धान की किस्म को संरक्षित करने और इसकी खेती को बढ़ावा देने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं. आइए जानते हैं कैसे किसानों के लिए ये कमाई का जबरदस्त मौका बन सकता है.
काला नमक धान क्या है?
काला नमक धान की पहचान हल्के काले रंग के छिलके और पकने पर निकलने वाली खास खुशबू से होती है. यह धान न केवल स्वाद में बेहतरीन है, बल्कि इसमें जिंक, प्रोटीन, आयरन और बीटा कैरोटीन जैसे पोषक तत्व भी मौजूद होते हैं.
इतिहास और सांस्कृतिक महत्व
काला नमक धान का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा है. ऐसा माना जाता है कि यह धान गौतम बुद्ध के समय से उगाया जा रहा है. कुछ मान्यताओं के अनुसार, बुद्ध ने भी इस चावल का सेवन किया था. कहा जाता है कि कपिलवस्तु की तराई में भगवान बुद्ध ने अपने शिष्यों को यही चावल खाने के लिए दिया था और कहा था कि इसकी खुशबू और स्वाद उनकी याद दिलाएगा. इसी वजह से कई लोग इस धान को ‘बुद्ध का प्रसाद’ भी मानते हैं.
सरकार की पहल
उत्तर प्रदेश सरकार ने काला नमक धान को जियोग्राफिकल इंडिकेशन (GI) टैग दिलाने की प्रक्रिया शुरू की है, ताकि इसकी विशिष्टता को संरक्षित किया जा सके. इससे किसानों को बेहतर दाम मिलेंगे और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा. यह धान अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी लोकप्रिय हो रहा है, जिससे इसकी मांग लगातार बढ़ रही है.
जबरदस्त कमाई का मौका
काला नमक धान की बढ़ती मांग और इसकी अनोखी विशेषताओं के कारण किसान इससे अच्छी कमाई कर रहे हैं. यह धान सामान्य चावल की तुलना में महंगा बिकता है और इसकी खास खुशबू और स्वाद इसे बाजार में अलग पहचान दिलाते हैं. ऑर्गेनिक और हेल्दी फूड के शौकीनों के बीच इसकी मांग लगातार बढ़ रही है. ऐसे में किसान इस खेती को अपनाकर ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं.