कोंकण, मराठवाड़ा, विदर्भ और महाराष्ट्र में लोबिया और तरबूज की खेती करने वाले किसानों के लिए सलाह दी जारी की गई है. किसानों को विशेषज्ञों की तरफ से मौसम को ध्यान में रखते हुए गाइडलाइंस जारी की गई हैं. उनका कहना है कि कोंकण में इस समय तैयार लोबिया और तरबूज की तुड़ाई जारी रखें. इसके साथ ही यहां इस मौसम में मूंग और भिंडी की बुवाई जारी रखें. विशेषज्ञों के मुताबिक कोंकण में ही ग्रीष्मकालीन धान में तीन से पांच सेंटीमीटर तक पानी का स्तर बनाए रखें.
तेज धूप से बागों को बचाएं
वहीं, मौजूदा और आने वाले दिनों में मौसम शुष्क रहेगा और इसे देखते हुए बागों में जरूरत के अनुसार सिंचाई करें. विशेषज्ञों का कहना है कि कोंकण के किसान इस समय नए लगाए गए सुपारी और आम के बागों में पौधों को तेज धूप से बचाएं और साथ ही एक घना जाल लगाएं ताकि उन पर तेज धूप का असर न पड़े. मध्य महाराष्ट्र में इस समय तैयार हो चुकी गेहूं, चना, मक्का और ज्वार की कटाई जारी रखने और कटी हुई फसलों को सुरक्षित जगह पर रखने की सलाह भी किसानों को दी गई है.
जरूरत पर करें सिंचाई
साथ ही मूंगफली किसानों से खेत में खाली जगहों को भरने को कहा गया है. मध्य महाराष्ट्र में शुष्क मौसम की संभावना को ध्यान में रखते हुए देर से बोए गए चने, गेहूं, मक्का, गन्ना, सब्जियों, आम के बागों और अंगूर की बेलों में जरूरत के अनुसार सिंचाई करें. यहीं देर से रोपाई की गई खरीफ प्याज में खुदाई से तीन हफ्ते पहले सिंचाई बंद कर दें. साथ ही मराठवाड़ा के किसानों के लिए विशेषज्ञों ने कहा है कि इस समय तैयार कुसुम और चना की कटाई के अलावा अदरक और हल्दी की खुदाई जारी रखें. यही शुष्क मौसम को देखते हुए गेहूं, मक्का, गन्ना, ग्रीष्मकालीन तिल और सब्जियों में जरूरत के अनुसार सिंचाई करें.
सरसों और गेहूं के किसानों को सलाह
वहीं विदर्भ के किसान इस समय तैयार अलसी, सरसों, काबुली चना, गेहूं और कुसुम की कटाई जारी रखें. इसके अलावा यहां इस मौसम में किसान हरे चारे के रूप में मक्का और ज्वार की बुवाई जारी रखें और सुनिश्चित सिंचाई के साथ ग्रीष्मकालीन मूंग की बुवाई करें. विदर्भ में ही मौजूदा और अपेक्षित शुष्क मौसम को देखते हुए गेहूं, मूंगफली, तिल, सूरजमुखी, सरसों, प्याज, मक्का, तरबूज और खरबूज के अलावा, सब्जियों और बागों में जरूरत के हिसाब से सिंचाई करें. विदर्भ में ही ग्रीष्मकालीन धान में तीन से पांच सेंटीमीटर जल स्तर बनाए रखें. यही नहीं मिट्टी की नमी को संरक्षित करने के लिए बागों जैविक मल्चिंग करें.