हिमाचल में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा, सुक्‍खु सरकार ने उठाया यह कदम 

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री, सुखविंदर सिंह सुक्खू ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों के नामांकन हेतु एक आसान रजिस्ट्रेशन फॉर्म पेश किया है.

Published: 18 Feb, 2025 | 12:06 PM

हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. किसानों को इस पद्धति से जोड़ने के उद्देश्य से सरकार ने एक रजिस्ट्रेशन फॉर्म जारी किया है, जिससे इच्छुक किसान आसानी से प्राकृतिक खेती को अपनाने के लिए रजिस्‍ट्रेशन करा सकते हैं.  प्राकृतिक खेती एक रासायन-मुक्त और पर्यावरण के अनुकूल कृषि पद्धति है, जो मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने और खेती की लागत को कम करने में सहायक होती है. इस वजह से आजकल हर जगह प्राकृतिक खेती का ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है. 

प्राकृतिक खेती के लिए रजिस्‍ट्रेशन फॉर्म 

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री, सुखविंदर सिंह सुक्खू ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों के नामांकन हेतु एक आसान रजिस्ट्रेशन फॉर्म पेश किया है. इस नई पहल का उद्देश्य राज्य के किसानों को प्राकृतिक खेती की ओर आकर्षित करना और उन्हें इसके लाभों से जोड़ना है.  मुख्यमंत्री ने बताया कि किसान अब इस फॉर्म को ऑनलाइन या ऑफलाइन दोनों तरीकों से भर सकते हैं. यह सुविधा उन्हें बिना किसी झंझट के प्राकृतिक खेती अपनाने में मदद करेगी और पंजीकरण की प्रक्रिया को सरल बनाएगी. प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए यह रजिस्ट्रेशन फॉर्म पंचायतों में बांटा जाएगा. 

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क्‍या है इस पहल की वजह 

सीएम सुक्खू ने बताया कि प्राकृतिक खेती में इस रजिस्‍ट्रेशन फॉर्म को किसानों के नामांकन के लिए तैयार किया गया है. उनका कहना था कि इस रजिस्ट्रेशन फॉर्म में किसानों की भूमि का विवरण, उगाई जाने वाली फसलें, किसानों द्वारा पाले जाने वाले पशुओं की नस्लें और प्राकृतिक खेती में प्रशिक्षण से जुड़ी बाकी जानकारियां शामिल होंगी. राज्य सरकार का लक्ष्य वर्ष 2025-26 तक हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देना है.  यह पहल पर्यावरण अनुकूल कृषि को प्रोत्साहित करने और किसानों को टिकाऊ खेती की ओर प्रेरित करने के लिए की जा रही है. 

 

किसानों से होगी खरीद 

सीएम सुक्खू ने जानकारी दी है कि राज्य सरकार ने हाल ही में 1508 किसानों से 30 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से 398.976 मीट्रिक टन प्राकृतिक रूप से उगाए गए मक्के (Maize) की खरीद की है. यह देश में सबसे अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) है, जो किसानों को प्राकृतिक खेती की ओर प्रोत्साहित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है. साथ ही आगामी सीजन के लिए प्राकृतिक रूप से उत्पादित गेहूं की खरीद के लिए 40 रुपये प्रति किलोग्राम के एमएसपी पर इसी तरह की प्रक्रिया अपनाई जाएगी. यह फैसला किसानों की आय बढ़ाने और प्राकृतिक खेती को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है. 

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किसानों को मिलेगा बाजार 

हिमाचल प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक रूप से उत्पादित मक्के के आटे को ‘हिम भोग’ ब्रांड के तहत बाजार में उतारा है.  यह आटा 1 किलोग्राम और 5 किलोग्राम के पैकेट में उपलब्ध है, जिससे उपभोक्ताओं को शुद्ध और प्राकृतिक उत्पाद मिल सके. सुक्खू ने बताया कि 1 फरवरी, 2025 तक राज्य की 1054 उचित मूल्य की दुकानों के माध्यम से 38.225 मीट्रिक टन मक्के का आटा बेचा गया है. इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश राज्य नागरिक आपूर्ति निगम लिमिटेड की थोक इकाइयों के माध्यम से 73.52 मीट्रिक टन आटे की बिक्री की गई है. यह कदम प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने और किसानों के उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराने के लिए उठाया गया है. 

रजिस्ट्रेशन की होगी जांच

राज्य में प्राकृतिक खेती को और अधिक संगठित बनाने के लिए एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट एजेंसी (ATMA) के कर्मचारी खेतों में जाकर किसानों द्वारा भरे गए फॉर्म की जांच करेंगे. इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसान सही जानकारी प्रदान कर रहे हैं और वे प्राकृतिक खेती की प्रक्रिया का पालन कर रहे हैं.  सरकार ने PK3Y के CETARA-NF पोर्टल से किसानों के डेटा को जोड़ने का फैसला किया है.  इससे किसानों की जानकारी डिजिटली सुरक्षित रहेगी और सरकारी योजनाओं से उन्हें अधिक आसानी से जोड़ा जा सकेगा.