अब सिंचाई के पानी की गुणवत्ता की जांच करना हुआ आसान! NIT राउरकेला के रिसर्चर्स ने बनाई नई तकनीक

एनआईटी राउरकेला के वैज्ञानिकों ने एक मशीन लर्निंग आधारित तकनीक विकसित की है, जिससे भूजल की गुणवत्ता को परखा जा सकता है. यह तकनीक किसानों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकती है.

Noida | Updated On: 12 Mar, 2025 | 09:11 PM

खेती के लिए पानी की गुणवत्ता कितनी जरूरी है, यह किसी भी किसान से पूछा जा सकता है. अगर सिंचाई के लिए इस्तेमाल किया जा रहा पानी अशुद्ध हो या उसमें ऐसे तत्व हों जो मिट्टी और फसल के लिए नुकसानदायक हों, इसका सीधा असर पैदावार पर पड़ता है. अब इस समस्या का समाधान निकालने के लिए राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT), राउरकेला के वैज्ञानिकों ने एक खास मशीन लर्निंग आधारित तकनीक विकसित की है, जिससे भूजल की गुणवत्ता को परखा जा सकता है.

Kisan Tak के अनुसार यह तकनीक किसानों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकती है, क्योंकि इससे उन्हें यह पता चल सकेगा कि जिस पानी से वे सिंचाई कर रहे हैं, वह उनकी फसलों के लिए उपयुक्त है या नहीं. ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले में की गई इस रिसर्च को “वाटर क्वालिटी रिसर्च जर्नल” में प्रकाशित किया गया है.

क्यों जरूरी है पानी की अच्छी गुणवत्ता?

सुंदरगढ़ जिले में कृषि ही लोकल इकोनॉमी का मुख्य स्रोत है. यहां नदियां, तालाब, झीलें बहुत कम हैं और केवल 1.21 प्रतिशत हिस्से को ही कवर करते हैं. ऐसे में, इस क्षेत्र की सिंचाई जरूरतें पूरी करने के लिए ज्यादातर अंडरग्राउंड वाटर पर निर्भर रहना पड़ता है.

यहां के 76% खेती में धान की फसल उगाई जाती है, जिसे भारी मात्रा में पानी की जरूरत होती है. लेकिन हाल के वर्षों में जल की मात्रा और उसकी गुणवत्ता में कमी आई है. यदि खराब गुणवत्ता वाला पानी इस्तेमाल किया जाए, तो इससे फसल की पैदावार घट सकती है और मिट्टी की उर्वरता भी प्रभावित हो सकती है.

कैसे की गई पानी की जांच?

NIT राउरकेला के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के सहायक प्रोफेसर अनुराग शर्मा के नेतृत्व में यह अध्ययन किया गया. इसमें सुंदरगढ़ जिले के अलग-अलग इलाकों से 360 कुओं के पानी के सैंपल लिए गए और उनकी जांच की गई.

इन सैंपल्स की रासायनिक संरचना (Chemical Properties) का विश्लेषण किया गया, ताकि यह पता लगाया जा सके कि कौन-से तत्व मिट्टी और फसल के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं. इसके लिए मशीन लर्निंग और स्टैटिस्टिकल टूल्स का उपयोग किया गया.

कहां का पानी सिंचाई के लिए उपयुक्त है?

रिसर्च के अनुसार, सुंदरगढ़ जिले के दक्षिणी, दक्षिण-पश्चिमी और पूर्वी हिस्सों में पाया गया पानी सिंचाई के लिए सही है. लेकिन पश्चिमी और मध्य हिस्सों (विशेष रूप से क्रिंजिकेला, तलसारा, कुटरा और सुंदरगढ़ शहर के कुछ भागों) में पानी में ऐसे तत्व पाए गए, जो मिट्टी और फसल उत्पादन को प्रभावित कर सकते हैं. यदि इन इलाकों में पानी को सही तरीके से फिल्टर और ट्रीट नहीं किया गया, तो आलू और खीरे जैसी फसलों की पैदावार में गिरावट आ सकती है.

देशभर के किसानों को मिलेगा फायदा

रिसर्च में यह भी सामने आया है कि यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो कुछ क्षेत्रों में पानी की गुणवत्ता और ज्यादा खराब हो सकती है.  इस अध्ययन में उपयोग की गई मशीन लर्निंग तकनीक को पूरे देश में अपनाया जा सकता है, जिससे भारत के किसानों को यह जानने में मदद मिलेगी की जिसे पानी से वह सिंचाई कर रहे हैं, वह उनकी मिट्टी और फसल के लिए सही है या नहीं.  NIT राउरकेला की इस पहल से किसानों को अधिक उत्पादकता, अच्छी पैदावार और खेती में मदद मिलेगी.

Published: 13 Mar, 2025 | 02:10 AM