सीताफल, जिसे शरीफा या कस्टर्ड एप्पल भी कहा जाता है, एक स्वादिष्ट और पोषक फल है. इसमें फाइबर, मिनरल्स और विटामिन्स भरपूर होते हैं, जिसकी वजह से इसकी बाजार में काफी ज्यादा मांग है.
चूंकि सीताफल भी एक बागवानी फसल है, इसलिए किसानों को इसकी खेती पर सरकार से सब्सिडी मिल सकती है. इससे किसान कम लागत में सीताफल की मुनाफे वाली खेती कर सकते हैं. अगर आप सीताफल की खेती शुरू करने की सोच रहे हैं, तो यहां कुछ जरूरी बातें हैं.
बुवाई का समय
सीताफल की बुवाई साल में दो बार की जाती है. इसके लिए सबसे अच्छा समय जुलाई से अगस्त और फरवरी से मार्च का होता है.
जलवायु और तापमान
सीताफल गर्म जलवायु में अच्छा फलता-फूलता है. इसके लिए तापमान 25°C से 35°C के बीच होना चाहिए. इस फल को ठंडी जलवायु पसंद नहीं है, इसलिए पाले वाले इलाकों में इसकी खेती मुश्किल होती है.
मिट्टी
इसकी खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है, साथ ही जल निकासी की व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए. मिट्टी का pH स्तर 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए.
प्रजातियां
किसानों में सबसे ज्यादा सीताफल की अन्नोना स्क्वामोसा किस्म को पसंद किया जाता है. इसके साथ ही हाइब्रिड किस्में भी उपलब्ध हैं, जो अधिक उत्पादन देती हैं और कीट प्रतिरोधी होती हैं.
रोपण
पौधों के बीच 4 से 5 मीटर की दूरी रखना चाहिए. इसके लिए बीज या ग्राफ्टेड पौधों का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन ग्राफ्टेड पौधों की खासियत यह है कि वे जल्दी फल देते हैं.
सिंचाई
बारिश के मौसम में इसकी अतिरिक्त सिंचाई की जरूरत नहीं होती. गर्मी के समय हर 10-15 दिन में सिंचाई करनी चाहिए. पौधों पर फूल आने और फल बनने के दौरान नियमित सिंचाई फायदेमंद होती है.
खाद और उर्वरक
रोपण के समय गोबर की खाद डालना अच्छा होता है. नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश संतुलित मात्रा में देना चाहिए. इसके साथ ही जैविक खाद का उपयोग फल की गुणवत्ता सुधारने में मदद करता है.
कीट और रोग नियंत्रण
इस पौधे पर अक्सर फल मक्खी और छाल भृंग का अटैक होता है. इनसे बचने के लिए जैविक कीटनाशकों या नीम के तेल का छिड़काव फायदेमंद होता है. रोगों में एन्थ्रेक्नोज और पाउडरी मिल्ड्यू प्रमुख हैं, जिनके लिए उचित फफूंदनाशक का इस्तेमाल करें.
फसल की कटाई और उत्पादन
पौधे लगाने के 2 से 3 साल बाद फल आना शुरू हो जाते हैं. फल पकने पर हल्के हरे से पीले रंग के हो जाते हैं और नरम महसूस होते हैं. औसतन एक पौधा 40 से 60 फल दे सकता है, जबकि हाइब्रिड किस्मों से अधिक उत्पादन संभव है.
बाजार और लाभ
सीताफल की मांग मिठाइयों और आइसक्रीम बनाने में काफी ज्यादा होती है. ताजा फल, पल्प, और सीताफल से बने उत्पादों की बिक्री से किसानों की अच्छी आमदनी हो सकती है. इसकी मांग स्थानीय बाजार, थोक विक्रेता और प्रोसेसिंग यूनिट्स में काफी है.