महंगी होने के बाद भी तेलंगाना में धान की बंपर खेती, जानें क्‍या है वजह

तेलंगाना टुडे की रिपोर्ट के अनुसार औसतन  प्रति एकड़ धान की खेती की लागत 35000 रुपये से बढ़कर 45000 रुपये पर पहुंच गई है. हाल के कुछ वर्षों में तेलंगाना में धान की फसल की लागत में तेजी से इजाफा हुआ है.

Agra | Updated On: 6 Mar, 2025 | 04:23 PM

तेलंगाना का कृषि क्षेत्र इस समय चर्चा का विषय बना हुआ है. यहां पर धान की फसल महंगी होने के बाद भी किसानों की फेवरिट खेती बनी हुई है. कई वजहों के बावजूद किसानों में धान की खेती के लिए उत्‍साह कम नहीं हो रहा है. आपको जानकर हैरानी होगी कि महंगी होने के बाद भी  धान की खेती का क्षेत्र बढ़ता जा रहा है. 

प्रति एकड़ कितनी लागत

तेलंगाना टुडे की रिपोर्ट के अनुसार औसतन  प्रति एकड़ धान की खेती की लागत 35000 रुपये से बढ़कर 45000 रुपये पर पहुंच गई है. हाल के कुछ वर्षों में तेलंगाना में धान की फसल की लागत में तेजी से इजाफा हुआ है. धान की खेती महंगी होने की कई वजहें हैं जिनमें मजदूरी, बीज, खाद, उर्वरक, कीटनाशक और सिंचाई महत्‍वपूर्ण हैं. लेकिन इतनी वजहों के बाद भी लगातार इसका क्षेत्रफल बढ़ता जा रहा है. मजदूरी की लागत के बाद धान की खेती कुछ किसानों के लिए बोझ बनती जा रही है. साथ ही अच्‍छे मजदूरों की कमी मुश्किलों को दोगुना कर रही है.

बाहर से बुलाने पड़ रहे मजदूर 

यहां के किसान अब पड़ोसी राज्‍यों जैसे छत्‍तीसगढ़, महाराष्‍ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश से मजदूरों को भाड़े पर बुला रहे हैं. इसकी वजह से खेती की लागत में इजाफा होता जा रहा है. इसके अलावा खेती के लिए जमीन तैयार करने में प्रति एकड़ 3500 से लेकर 7500 तक का खर्च आता है. जबकि बीज और रोपण से जुड़े सामानों पर प्रति एकड़ 3200 रुपये तक का खर्च आता है. 

इस कीमत में प्रति एकड़ खाद और पोषक तत्‍वों के लिए अप्‍लीकेशन पर 5000 से लेकर 10000 रुपये तक का खर्च आता है. जबकि सिंचाई सिस्‍टम के लिए प्रति एकड़ 5000 रुपये से लेकर 15 हजार रुपये तक का खर्च आता है. वह भी जमीन की प्रकृति पर निर्भर करता है. वहीं कीटों और बीमारियों के मैनेजमेंट पर प्रति एकड़ दो हजार से पांच हजार रुपये तक का खर्च आता है. 

इन सबके बाद भी चावल की मांग लगातार बनी हुई है और इस वजह से यह किसानों के लिए लुभावनी खेती बनी हुई है. वहीं किसानों का तर्क है कि सरकार की तरफ से जो मिनिमम सपोर्ट प्राइस (एमएसपी) मुहैया कराई जाती है, वह बहुत कम है और उनके खर्चों को पूरा करने में असमर्थ है. 

चावल का कटोरा तेलंगाना!

चावल तेलंगाना की एक प्रमुख फसल में से एक है. यहां पर धान की इतनी पैदावार होती है कि इस राज्य को दक्षिण भारत के ‘चावल के कटोरे’ का दर्जा हासिल है. एक रिकॉर्ड के अनुसार साल 2023-24 में यहां के किसानों ने खरीफ और रबी दोनों सीजन में 46.85 लाख हेक्टेयर में चावल की खेती की. इस साल राज्‍य में खरीफ सीजन में 93.44 लाख मीट्रिक टन और रबी सीजन में 75.3 लाख मीट्रिक टन चावल का उत्पादन हुआ. चावल की खेती के लिए यहां के किसानों के झुकाव की वजह से तेलंगाना ने हाल के वर्षों में रिकॉर्ड धान की पैदावार हासिल की है.

Published: 6 Mar, 2025 | 07:21 PM