बिहार की इस खास किस्‍म के चावल से किसानों को होता है बड़ा मुनाफा!

राजेंद्र श्‍वेता की खेती किसान जून के पहले हफ्ते से करते हैं. इस किस्‍म को पकने में भी कम समय लगता है. इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि कम पानी वाली जगहों पर भी इसकी अच्‍छी खेती हो सकती है.

Noida | Updated On: 19 Mar, 2025 | 06:46 PM

आज हम आपको बिहार में पैदा होने वाले चावल की एक ऐसी खास किस्‍म के बारे में बताएंगे जिसे वैज्ञानिकों ने वहां इको-सिस्‍टम के लिए फिट करार दिया है. चावल की इस किस्‍म का नाम है राजेंद्र श्‍वेता और यह न केवल बिहार की जनता के लिए बल्कि किसानों के लिए भी मुनाफे का सौदा साबित हो रही है. चावल की इस किस्‍म को साल 2004 में जारी किया गया था. वैज्ञानिकों का कहना है कि यह चावल स्‍वास्‍थ्‍य के लिए भी काफी अच्‍छा है.

कम समय में ज्‍यादा उपज

चावल की इस किस्म के बारे में कहा जाता है कि यह बेहद मुलायम है और इसका स्‍वाद भी सबसे अलग है. पारंपरिक बिरयानी से लेकर इसकी खीर तक बनाई जा सकती है. राजेंद्र श्‍वेता धान को चूड़ा के लिए भी काफी सही करार दिया गया है. बिहार के किशनपुरके अंदौली गांव में इसका प्रयोग किया गया जो काफी सफल रहा था. किसानों को अच्छी पैदावार हासिल हुई थी. राजेंद्र श्‍वेता की खेती किसान जून के पहले हफ्ते से करते हैं. इस किस्‍म को पकने में भी कम समय लगता है. इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि कम पानी वाली जगहों पर भी इसकी अच्‍छी खेती हो सकती है. यह किस्‍म 135 से 140 दिनों में पककर तैयार हो जाती है..

एक साल तक हुआ टेस्‍ट

राजेंद्र श्‍वेता (RAU710-99-22) सीता/पूसा बासमती-1//कटरनी के क्रॉस से डेवलप की गई चावल की एक खास किस्‍म है. यह चावल की ज्‍यादा उपज देने वाली, बारीक दाने वाली किस्म है. इस किस्म को सिंचित परिस्थितियों में खेती के लिए जारी किया गया था. साल 2002 से 2003 तक बिहार में किए गए खास प्रजनन परीक्षणों में, राजेंद्र स्वेता की औसत उपज (3.5 टन/हेक्टेयर) पूसा बासमती 1 (2.3 टन/हेक्टेयर) और सुगंधा (2.7 टन/हेक्टेयर) की तुलना में ज्‍यादा थी.

55 किसानों के खेत पर हुआ परीक्षण

अगर पोषक तत्‍वों की बात करें तो इससे जुड़े टेस्‍ट्स भी यह किस्‍म पास हो गई थी. राजेंद्र श्‍वेता ने क्रमशः 80, 40 और 20 किलोग्राम/हेक्टेयर की N, P और K दरों पर सबसे ज्‍यादा उपज दी थी. साल 2001 से 2003 तक 55 किसानों के खेतों में इस किस्‍म को टेस्‍ट किया गया था. इस किस्म की औसत उपज 4.7 टन/हेक्टेयर नियंत्रण की औसत उपज से 10 प्रतिशत ज्‍यादा थी.

Published: 19 Mar, 2025 | 10:00 AM