आंध्र प्रदेश में लाल मिर्ची की खेती करने वाले किसानों पर जो आफत अभी आई है, उसके बाद राज्य सरकार अलर्ट हो गई है. किसानों को कोई परेशानी न हो इसके लिए मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने बड़ा ऐलान किया है. सीएम नायडू ने कहा है कि राज्य सरकार, आंध्र प्रदेश की दो प्रमुख फसलों मिर्च और आम के किसानों के हितों की रक्षा के लिए एक बोर्ड का गठन करने पर विचार कर रही है. अगर ऐसा होता है तो फिर यह किसानों के लिए बड़ी राहत होगी.
मिर्ची किसानों की चिंता
पिछले दिनों अमरावती में राज्य सचिवालय में मिर्च किसानों, व्यापारियों, अधिकारियों और निर्यातकों के साथ एक मीटिंग में बोलते हुए, सीएम नायडू ने कम गुणवत्ता और अंतरराष्ट्रीय मांग की कमी के कारण मिर्च की कीमतों में हाल ही में आई गिरावट पर बात की. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उनकी पहली चिंता मिर्च किसानों का समर्थन करना है. उन्होंने याद किया कि जैसे ही उन्हें मिर्च की गिरती कीमतों और किसानों के लिए होने वाली कठिनाइयों के बारे में पता चला, उन्होंने पिछले साल 26 दिसंबर को और फिर इस साल 5 और 11 फरवरी को केंद्र सरकार को पत्र लिखा.
सीएम से किसानों की बात
मीटिंग में किसानों ने मुख्यमंत्री को बताया कि मिर्च की खेती की लागत हर साल बढ़ रही है, लेकिन उनकी आय उस अनुपात में नहीं बढ़ रही है. उन्होंने बताया कि काली फफूंदी रोग के कारण मिर्च की फसल की गुणवत्ता और उपज प्रभावित हो रही है, जिससे उत्पादकता कम हो रही है. किसानों ने बताया कि प्रति एकड़ खेती की लागत 3 से 3.5 लाख रुपये तक बढ़ गई है. मजदूरी की लागत, जो पहले से ही अधिक थी, इस साल और बढ़ गई है, और मजदूर भी मिलना मुश्किल है.
इन चुनौतियों के बावजूद, किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है. उन्होंने शिकायत की कि व्यापारी गुणवत्ता के मुद्दों का हवाला देते हुए कीमतों में 500 रुपये प्रति क्विंटल की कमी कर रहे हैं. किसानों ने निराशा व्यक्त करते हुए सवाल किया कि सुबह के समय अच्छी गुणवत्ता वाली फसल दोपहर तक कैसे खराब हो सकती है.
निर्यातकों ने की बोनस की मांग
किसानों ने हाई ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट (उच्च परिवहन लागत) के बारे में भी चिंता जताई, उन्होंने कहा कि जब वे संघ के बाहर से ट्रक किराए पर लेते हैं, तो अन्य ट्रक मालिक उन्हें धमकाते हैं. किसानों ने सुझाव दिया कि पुनर्गठित आंध्र प्रदेश राज्य में तेलुगु देशम सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान प्रदान किए गए बोनस के समान बोनस की घोषणा करने से उन्हें फिर से बहुत फायदा होगा.
क्यों आई कीमतों में गिरावट
निर्यातकों ने बताया कि आंध्र प्रदेश के मिर्च निर्यात का एक बड़ा हिस्सा चीन, कोलंबो, बांग्लादेश और इंडोनेशिया को जाता है. हालांकि, इस साल इन देशों को निर्यात में गिरावट आई है, जिससे राज्य में कीमतों में गिरावट आई है. निर्यातकों ने कहा कि सितंबर, अक्टूबर और नवंबर में बाढ़ के कारण अत्यधिक कीटनाशकों के इस्तेमाल से उपज की गुणवत्ता प्रभावित हुई है. इसके अलावा, कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं में अभी भी पिछली फसल का स्टॉक है, जिससे नई फसल के लिए बहुत कम जगह बची है. नतीजतन, किसानों को अपनी उपज सीधे बाजार में बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.