आज के दौर में किसान दिन-रात मेहनत कर रहा है, लेकिन जब फसल तैयार होती है तो या तो उसमें कीड़े लग जाते हैं, या फूल-फल आते ही नहीं. इसका बड़ा कारण है मिट्टी में पोषक तत्वों की भारी कमी. वैज्ञानिक मानते हैं कि खेत की मिट्टी में अगर जिंक, सल्फर, आयरन, कैल्शियम जैसे 10 जरूरी तत्व न हों तो फसल बीमारियों का घर बन जाती है. खेती शुरू करने से पहले इन पोषक तत्वों की जांच कराना अब जरूरत नहीं, मजबूरी बन चुका है. ये तत्व कौन- कौन से हैं? चलिए जान लेते हैं.
पौधों को पोषण देते हैं आयरन और सल्फर
अगर फसल में आयरन पर्याप्त मात्रा में होगा तो पत्तियों की मजबूती बढ़ेगी और इल्ली जैसे कीट पत्तियों को नुकसान नहीं पहुंचा पाएंगे. ऐसे में उत्पादन भी बेहतर होगा. इसके अलावा सल्फर की मौजूदगी फसल की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है, जिससे फंगस जनित बीमारियां नहीं लगतीं. इतना ही नहीं यह पौधे की कोशिकाओं को मजबूती भी देता है.
जिंक, तांबा, मैगनीज और कैल्शियम पौधों के लिए जरूरी
फसल में जिंक होने से पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जिससे वायरस का प्रकोप कम हो जाता है. लेकिन इसके रोकथाम के लिए अन्य उपाय भी जरूरी हैं. इसके अलावा तांबा और मैगनीज पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं, जिससे बैक्टीरियल ब्लास्ट जैसी बीमारियों का खतरा कम होता है. जबकि कैल्शियम पौधों की कोशिकाएं मजबूत करता है, जिससे रसचूसक कीटों का प्रकोप कम होता है.
खनिज, बोरान और कैल्शयम हैं जड़ों और पत्तियों के रक्षक
वर्तमान में मिट्टी की ऊपरी सतह में उक्त खनिज तत्व नही है इसीलिए फसलों में बीमारियां आ रही है. ऐसे में खनिज तत्वों की कमी से फसल की उपज भी गिरती है. वहीं फसल में बोरान और कैल्शियम की कमी से नई कोपलें और फूल नहीं आते, फल फटने लगते हैं, जिससे उपज प्रभावित होती है. इन तत्वों की पर्याप्तता से फसल की वृद्धि और गुणवत्ता बेहतर होती है.
फॉस्फोरस, पोटास और जिंक सल्फर हैं क्वालिटी का आधार
फसल में फॉस्फोरस की कमी से पत्ते टेढ़े-मेढ़े हो जाते हैं और फसल की ऊंचाई नहीं बढ़ती, जिससे उपज में कमी आती है. फॉस्फोरस पौधों की वृद्धि और विकास के लिए आवश्यक होता है. इसके अलावा फसल में पोटास की कमी से फसल में कंसे नहीं आते, फल कम लगते हैं और छोटे रहते हैं. वहीं पोटास पौधों की ऊर्जा, जलवायु सहनशीलता और फलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. जबकि फसल में जिंक सल्फर की कमी से फलों में स्वाद नहीं आता, क्योंकि यह पौधों की पोषण गुणवत्ता और फल के स्वाद को प्रभावित करता है. जिंक सल्फर से फसल की गुणवत्ता और स्वास्थ्य बढ़ता है.