भारत में सरसों एक महत्वपूर्ण फसल के तौर पर जानी जाती है. रबी के सीजन के तहत आने वाली इस फसल की बुवाई अक्टूबर से लेकर फरवरी या मार्च तक होती है. लेकिन अगर किसी वजह से इसमें देर हो गई तो भी किसानों को परेशान होने की जरूरत नहीं है. पूसा के तहत आने वाले संस्थान आईसीएआर की तरफ से किसानों को इसके लिए जरूरी टिप्स दिए गए हैं. न केवल सरसों बल्कि किसानों को प्याज और आलू जैसी फसलों के लिए भी खास सलाह भी दी गई है.
कैसे करें सरसों की देखभाल
कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो रबी का सीजन ज्यादातर सर्दी के मौसम में पड़ता है. अक्सर इन दिनों में बारिश की आशंका भी रहती है. ऐसे में खड़ी फसल में सिचाईं और कभी भी तरह का छिड़काव करने से बचना चाहिए. इस तरह के और भी टिप्स भी किसानों को दिए गए हैं. कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार किसानों को ध्यान रखना चाहिए कि देर से बोई गई सरसों की फसल में विरलीकरण और खरपतवार नियंत्रण का काम जरूर करें. साथ ही औसत तापमान में कमी भी होगी और इस बात को ध्यान में रखते हुए भी सरसों की फसल में सफेद रतुआ रोग से बचाव के उपाय भी करने नियमित रूप से करने होंगे.
आलू-प्याज की फसल का ध्यान
साथ ही अगर इस मौसम में आपने प्याज की रोपाई की है तो उससे पहले तैयार खेतों में अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद और पोटाश उर्वरक का प्रयोग भी जरूर करें. वैज्ञानिकों की मानें तो आलू की फसल में भी उर्वरक का सही प्रयोग भी जरूरी है. साथ ही फसल में मिट्टी चढ़ाने का काम करें. हवा में अगर नमी बहुत ज्यादा नमी होगी तो उस वजह से आलू और टमाटर में झुलसा रोग आने की संभावना है.
ऐसे में जरूरी है कि फसल की नियमित तौर पर निगरानी जरूरी है. अगर इस बीमारी के लक्षण फसल में नजर आते हैं तो डाईथेन-एम-45 2.0 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. इस बात का ध्यान जरूर रखें कि इसका छिड़काव तभी करें जब आसमान साफ हो. वहीं, जिन किसानों ने टमाटर, फूलगोभी, बंदगोभी या फिर ब्रोकली की नर्सरी तैयार की है, वह मौसम को ध्यान में रखकर पौधों की रोपाई कर सकते हैं.