खेती में हमेशा से ही महिलाओं की बड़ी भूमिका रही है. जैविक और प्राकृतिक तरीके से खेती के तरीकों को अपनाकर महिला किसान अब और तेजी से आगे बढ़ रही हैं. झारखंड, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों की महिला किसानों ने खेती के आधुनिक तरीके और विधियों को अपनाकर अपनी माली हालत ठीक की है और अपने जीवनस्तर को सुधारा है. यहां हम 5 महिला किसानों की बात कर रहे हैं, जो अब खेती से लाखों रुपये की कमाई कर रही हैं.
मिट्टी-पानी, मौसम और बीजों की जानकारी और ट्रेनिंग
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के तहत ग्रामीण विकास कार्यों और आधुनिक तरीके से खेती के लिए प्रदान (PRADAN) संस्था किसानों की मदद कर रही है. ओडिशा के कोरापुट में प्रदान संस्था में प्रोजेक्ट एग्जिक्यूटिव और किसानों को ट्रेनिंग समेत अन्य तरह से खेती में मदद करने वाले रश्मि रंजन साहू ने एग्रीकल्चर प्लेटफॉर्म ‘किसान इंडिया’ को बताया कि कोरापुट जिले के दूरदराज के ग्रामीण इलाकों के वंचित समुदायों को खेती की मॉडर्न तकनीक सिखाई जा रही है और मिट्टी, पानी, बीज की क्वालिटी, मौसम आदि को लेकर किसानों को जागरूक किया है. उन्होंने बताया कि महिला किसानों को खेती से जोड़ा जा रहा है और उनकी आमदनी में तेजी से इजाफा हुआ है, जिससे उनके जीवनस्तर में बदलाव आया है.
1. नेट हाउस मॉडल से 1 लाख रुपये कमा रहीं मध्य प्रदेश की त्रिवेणी
मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले के मौरिया गांव की 30 महिला किसान त्रिवेणी खैरवार ने खेती के जरिए नई मिसाल कायम की है. महिला आर्थिक सशक्तिकरण (WEE) प्रोजेक्ट और उनकी स्वयं सहायता समूह (SHG) के समर्थन से उन्होंने खेती ‘नेट हाउस मॉडल’ अपनाया, जो एक सस्ते कृषि नवाचार के रूप में फसलों की रक्षा करता है और उपज बढ़ाता है. जैविक इनपुट्स, ड्रिप सिंचाई और कंपोस्टिंग जैसे पुनर्योजी कृषि विधियों को अपनाकर त्रिवेणी ने 6 डिसमल बंजर जमीन को एक फलती-फूलती खेती में बदल दिया है. इसमें उन्होंने 5 क्विंटल बैगन और 60 किलो मिर्च की उपज ली है. उनकी कमाई 23 फीसदी बढ़ गई, जो 86,000 रुपये से 1,06,100 रुपये तक पहुंच गई. उनकी सफलता ने उनके समुदाय में कई अन्य लोगों को भी प्रेरित किया. त्रिवेणी की यात्रा यह दर्शाती है कि जब महिलाओं को सशक्त किया जाता है, तो वे ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं में कृषि नवाचार और लचीलापन ला सकती हैं.

मध्य प्रदेश की किसान त्रिवेणी खैरवार.
2.तरबूज और बाग की टिकाऊ खेती से आमदनी बढ़ी
झारखंड के तोरपा ब्लॉक के दोरमा गांव की किसान निर्मला बेंगरा अब खेती से मोटी कमाई कर रही हैं. वह प्रदान के सहयोग से एक किसान उत्पादक कंपनी (FPC) से जुड़ीं. उत्पादन तकनीकों और क्वालिटी इनपुट्स की मदद से निर्मला ने कई पारंपरिक फसलों की खेती शुरू की. पिछले वर्ष उन्होंने 1 एकड़ जमीन से 9 टन तरबूज की फसल ली और 50,000 रुपये कमाए. इसके अलावा उन्होंने 1 एकड़ जमीन पर एक फलते-फूलते आम के बगीचे की शुरुआत की. निर्मला की सफलता की कहानी समुदाय समर्थन, टिकाऊ खेती और नई तकनीकों को अपनाने की ताकत का प्रतीक है, जो उत्पादकता और आय में सुधार करती है.
3. जैविक तरीके करेला और चावल उगाकर बढ़ाई आमदनी
पश्चिम बंगाल के झारग्राम जिले की गीता का जीवन उस समय बदल गया जब उन्होंने आमोन महिला चासी किसान उत्पादक कंपनी (FPC) से जुड़ीं. यहां उन्हें जैविक तरीके से खेती करने की ट्रेनिंग मिली और उनके खेतों में मिट्टी की सेहत में सुधार हुआ. जबकि, फसलों के मित्र कीटों को बचाने में भी मदद मिली. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के तहत ग्रामीण विकास कार्यों में जुटी संस्था प्रदान (PRADAN) और FPC के सहयोग से किसान गीता ने जैविक तरीके से करेले की खेती की और 0.1 एकड़ ज़मीन से 26,000 रुपये कमाए. इसी तरह उन्होंने स्वदेशी तरीके से काला चावल उगाकर 31,000 रुपये उन्होंने कमाए. FPC ने 5550 महिला किसानों को सशक्त किया, जिन्होंने जैविक खेती की ओर रुख किया और अधिक मूल्य वाली फसलों जैसे स्वदेशी काले चावल उगाकर अपनी आय बढ़ाई.

पश्चिम बंगाल के झारग्राम जिले की किसान गीता.
4. ओडिशा की रामा बन गईं आलू आलू एक्सपर्ट
ओडिशा के कोरापुट जिले के नीलोडोरापुट गांव की महिला किसान रामा गुंथा को अपनी उपज के लिए कम दाम मिलने की समस्या ने परेशान कर रखा था, क्योंकि अच्छी किस्म बेहतर क्वालिटी की उपज के बावजूद उन्हें स्थानीय बाजार अच्छी कीमत नहीं मिल पाती थी. लेकिन, जब वह कोरापुट नारी शक्ति किसान उत्पादक कंपनी (FPC) से जुड़ीं तो सब तब बदल गया. एफपीसी की मदद से उन्हें अच्छी क्वालिटी के इनपुट्स और समय पर नकद भुगतान हासिल किया. 2023 में उन्होंने 3 एकड़ जमीन से 60 क्विंटल आलू की फसल उगाई और 30 क्विंटल से 45,000 रुपये कमाए. आलू में उनकी विशेषज्ञता को पहचान मिली और अब वह क्षेत्र के अन्य किसानों को ट्रेनिंग दे रही हैं. उनके प्रयासों से 10,000 एकड़ आलू की खेती योजना शुरू हुई है, और बागवानी विभाग ने किसानों को सब्सिडी पर आलू के बीज दिए हैं. PRADAN और FPC की मदद से अब विक्रेता नियमित रूप से किसानों का भुगतान करते हैं.

ओडिशा की किसान उल्हास खिंबूदी.
5. 10 हजार लगाकर 1 लाख मुनाफा कमाया
प्रदान से खेती की ट्रेनिंग लेने वाली महिला किसान उल्हास खिंबूदी ने बताया कि उन्होंने 8 महीने में 10 हजार रुपये लगाकर अदरख की खेती की और नारी शक्ति एफपीसी की मदद से बिक्री कर 1 लाख रुपये का मुनाफा कमाया. उल्हास खिंबूदी ने बताया कि वह कोरापुट के खुरजी की रहने वाली हैं. पहले भी वह अदरक की खेती करती थीं तब 10 रुपये का भाव मिलता था, जो नारी शक्ति एफपीसी के जरिए बेचने में आसानी हुई और उनकी ऑर्गनिक अदरक का भाव 80-90 रुपये से भी बढ़कर 100 रुपये तक मिला है. अदरक का भाव अधिक मिलने की वजह अच्छी तरह से सुखाकर और पैकेट में रखकर बेचने की वजह से है. जबकि, प्रदान से जुड़ककर इंटीग्रेटेड खेती और मल्टी क्रॉप की ट्रेनिंग मिली, जिसकी वजह से वह एक खेत में कई फसलें उगा पाती हैं.