आज के समय में जब ज्यादातर किसान खेती को घाटे का सौदा मान कर इससे दूरी बना रहे हैं, वहीं कुछ ऐसे युवा भी हैं जो न सिर्फ खेती को समझदारी से कर रहे हैं, बल्कि नई तकनीक और नए प्रयोगों से इसे एक फायदे का सौदा बना चुके हैं. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की रहने वाली अनुष्का जायसवाल भी ऐसी ही एक युवा महिला किसान हैं, जो खेती की दुनिया में एक नई मिसाल कायम कर रही हैं.
नौकरी नहीं, चुनी खेती की राह
28 साल की अनुष्का ने दिल्ली विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक की पढ़ाई की. पढ़ाई पूरी होने के बाद वो चाहतीं तो मल्टीनेशनल कंपनी में अच्छी-खासी सैलरी वाली नौकरी कर सकती थीं, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. उन्होंने ठानी कि वो कुछ अलग करेंगी, और इस सोच के साथ उन्होंने खेती की राह पकड़ी. इसके साथ ही उन्होंने लीज पर जमीन लेकर सब्जियों की खेती शुरू की और आज उनकी गिनती लखनऊ की सफल और प्रगतिशील किसानों में जा रही है.
पालीहाउस में उगाती हैं रंग-बिरंगी सब्जियां
अनुष्का ने लखनऊ के मोहनलालगंज के सिसेंडी गांव में उद्यान विभाग से सब्सिडी लेकर पालीहाउस तैयार करवाया. जिसमें वह जैविक तरीके से शिमला मिर्च (लाल, हरी और पीली), ब्रॉकली, ज़ूकीनी जैसी विदेशी और हाई क्वालिटी सब्जियां उगाती हैं. जैविक तरीके से उगाई गई सब्जियों मांग बाजार में हमेशा बनी रहती है. जिसे उन्हें आधी मुनाफा भी होता है.

Anushka Jaiswal
रेस्टोरेंट और ऑनलाइन मंचों पर भारी डिमांड
अनुष्का की उगाई गई कलरफुल शिमला मिर्च की लखनऊ के बड़े-बड़े रेस्तराओं में काफी डिमांड है. इतना ही नहीं, ब्लिंकिट जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी उनके उत्पादों की सप्लाई होती है. इसके साथ ही अनुष्का बताती हैं कि उनकी सब्जियों की डिमांड इतनी ज्यादा रहती है कि कई बार वह ऑर्डर भी पूरा नहीं कर पातीं. और कई बार तो फसल काटने से पहले ही बुक हो जाती है.
6 एकड़ में फैली खेती से महिलाओं को मिल रहा रोजगार
अनुष्का फिलहाल 6 एकड़ जमीन पर खेती कर रही हैं. शुरुआत में लोग उनके फैसले का मजाक उड़ाते हुए कहते थे कि ‘शहर की लड़की खेतों में क्या करेगी?’ लेकिन आज वही लोग उनके पास काम मांगने आते हैं. इसके साथ वह यह भी कहती है की आज के समय में उनके फार्म पर करीब दो दर्जन महिलायें रोजगार करती हैं.
ड्रिप सिंचाई और मल्चिंग से जल संरक्षण
अनुष्का खेती में ड्रिप सिंचाई प्रणाली और मल्चिंग तकनीक का उपयोग करती हैं. इससे पानी की काफी बचत होती है और खरपतवार भी नियंत्रण में रहते है. पारंपरिक पवेरा सिंचाई में जहां पानी की बर्बादी होती है, वहीं ड्रिप सिस्टम में सीधा पौधों की जड़ों तक पानी पहुंचता है. इससे उपज भी अच्छी होती है और लागत भी घटती है.
प्रेरणा हैं युवा किसानों के लिए
अनुष्का की मेहनत और सूझबूझ ने यह साबित कर दिया कि अगर खेती को सही तरीके से किया जाए तो यह किसी भी मल्टीनेशनल नौकरी से कम नहीं होगी. वे न सिर्फ खुद तरक्की कर रही हैं, बल्कि कई महिलाओं को भी साथ लेकर चल रही हैं. उनकी कहानी हर उस युवा के लिए प्रेरणा है जो खेती को पुराना या घाटे का काम समझते हैं.