किसानों के भूसा और पराली से खड़ा किया बिजनेस, लाखों में कमाई कर रहे इंदौर के शुभम मुंद्रा

शुभम ने बताया कि हमने यहां पर धार जिले में एक फैक्ट्री की स्थापना की है. यहां पर हम लोग बायोमास ब्रिक और प्लेट्स बनाते हैं. उन्होंने बताया कि इसके हम भूसे और कृषि कचरे का इस्तेमाल करते हैं.

नोएडा | Updated On: 13 Apr, 2025 | 02:01 PM

ग्रामीण और किसानों से जुड़े कारोबार में तेजी से युवा आगे आ रहे हैं. मध्य प्रदेश के इंदौर के रहने वाले शुभम मुंद्रा ने भूसा और पराली से बायोमास ब्रिक और प्लेट बनाते हैं. इसकी सप्लाई से इंडस्ट्रीज को करते हैं, ब्रॉयलर का इस्तेमाल करती हैं. उन्होंने बताया कि उनके बायोमास प्रोडक्ट को डीजल की जगह ईंधन के रूप में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य किसानों को उनके बेकार भूसे और खेतों में जला दी जाने वाली पराली के लिए पैसा देना है और पर्यावरण को बचाना है. इस कारोबार से उनका लाखों रुपये का टर्नओवर है.

कृषि कचरे से बिजनेस का आइडिया

मध्य प्रदेश के शुभम मुंद्रा ने बताया कि वह इंदौर के रहने वाले हैं और उनके पास भूसा, पराली और कृषि कचरे से उत्पाद बनाने के बिजनेस का आइडिया आया था. लेकिन, बिजनेस शुरू करने के लिए उनके पास फंड की कमी थी. इसके लिए उन्होंने केंद्र सरकार की योजना एग्रीकल्चर इंफ्रा फंड से आवेदन करके वित्तीय मदद ली थी. फंड मिलने के बाद उन्होंने धार जिले में अपनी फैक्ट्री शुरू की.

किसानों से खरीदते हैं भूसा और पराली

शुभम ने बताया कि हमने यहां पर धार जिले में एक फैक्ट्री की स्थापना की है. यहां पर हम लोग बायोमास ब्रिक और प्लेट्स बनाते हैं. उन्होंने बताया कि इसके हम भूसे और कृषि कचरे का इस्तेमाल करते हैं. उन्होंने कहा कि भूसा का कलेक्शन हम लोग किसानों से करते हैं. किसान फसल काटने के बाद जो भूसा जला दिया करता था अब वह हमें बेच देता है. इससे किसानों की भी कमाई हो जाती है.

धार की फैक्ट्री में बनते हैं बायोमास प्लेट्स

उन्होंने बताया कि भूसा खरीदने के बाद उसे प्रॉसेस किया जाता है, जिसमें हम उसे एग्रीगेट करके क्लीन करते हैं और स्टोन और डस्ट भूसा से निकाल देते हैं. इसके बाद उसे ग्राइंड किया जाता है और फिर मशीनों से डेंसीफिकेशन प्रॉसेस (densification process) किया जाता है. इस प्रक्रिया के बाद ब्रिक्स और प्लेट्स तैयार हो जाती हैं.

इंडस्ट्रीज को डीजल-पेट्रोल का विकल्प दे रहे

शुभम मुंद्रा ने बताया कि भूसे का इस्तेमाल करके बनाई गई बायोमास ब्रिक्स और प्लेट्स को हम लोग सारी इंडस्ट्रीज को सप्लाई करते हैं. इनका यूज ब्रॉयलर इस्तेमाल करने वाली कंपनियों में खूब होता है और इन्हें डीजल पेट्रोल ईंधन के विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.

Shubham Mundra of Indore MP agri infra fund - Kisan India

क्या है एग्रीकल्चर इंफ्रा फंड योजना

केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार एग्रीकल्चर इंफ्रा फंड (Agriculture Infrastructure Fund AIF) ने शुभम जैसे युवाओं को न सिर्फ सपना देखने का हौसला दिया, बल्कि उसे पूरा करने का रास्ता भी दिखाया है. योजना के अनुसार कोई भी युवा जो उद्यमी बनने का सपना देख रहा है वह AIF योजना के जरिए फंड के लिए आवेदन कर सकता है. इस योजना के तहत युवा उद्यमियों को 2 करोड़ रुपए तक के ऋण पर अधिकतम 7 साल तक ब्याज में 3 फीसदी तक की छूट भी दी जाती है.

Published: 13 Apr, 2025 | 01:43 PM