फसल बीमा योजना में होगा बड़ा बदलाव, अब पशुपालक और पट्टेदार किसान भी होंगे शामिल

सरकार की योजना है कि किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) धारकों, जिनकी संख्या 7.71 करोड़ है, इसमें पशुपालन से जुड़े 44 लाख किसानों को भी इस सुरक्षा कवच में शामिल किया जाए.

नई दिल्ली | Published: 19 Apr, 2025 | 02:48 PM

भारत में हर साल लाखों किसान अपनी फसल को प्राकृतिक आपदाओं की वजह से खो बैठते हैं. बाढ़, सूखा, ओलावृष्टि या फिर जंगली जानवरों का हमला जैसी तमाम समस्याएं किसानों को अक्सर घेर लेगी हैं. ऐसे ही संकट के समय में पीएम फसल बीमा योजना (PMFBY) ने कई किसानों को राहत दी है. अब जल्द ही इस योजना में उन किसानों को भी शामिल किया जा सकता है जो किराये पर जमीन लेकर खेती करते हैं या पशुपालन जैसे कामों से जुड़े हैं.

अब बंटाईदार किसान भी होंगे शामिल

देश के करीब 14 करोड़ किसानों में से लगभग 40 प्रतिशत किसान ऐसे हैं जिनके पास खुद की जमीन नहीं है. वे बंटाईदार (tenant farmers) के रूप में खेती करते हैं. अब सरकार इन्हें भी पीएम फसल बीमा योजना के दायरे में लाने जा रही है, ताकि ये भी नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजा पा सकें. इसके लिए जमीन मालिक की सहमति और किसान की डिजिटल आईडी से पहचान सुनिश्चित की जाएगी.

पशुपालकों और केसीसी धारकों को भी फायदा

अब केवल फसल उगाने वाले किसान ही नहीं, बल्कि पशुपालन और मत्स्यपालन से जुड़े किसान भी इस बीमा योजना के दायरे में आ सकते हैं. सरकार की योजना है कि किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) धारकों, जिनकी संख्या 7.71 करोड़ है, इसमें पशुपालन से जुड़े 44 लाख किसानों को भी इस सुरक्षा कवच में शामिल किया जाए.

बीमा में देरी नहीं, तय होगी मुआवजे की तारीख

कई बार किसानों को मुआवजा मिलने में महीनों लग जाते हैं. सरकार अब पीएम किसान योजना की तरह इस बीमा योजना में भी मुआवजे की तय तारीख तय करने की तैयारी में है, जिससे पारदर्शिता और समयबद्ध भुगतान सुनिश्चित हो सके.

जंगली जानवरों और नई आपदाओं को भी कवर

अक्सर किसानों की फसलें जंगली सूअर या नीलगाय जैसे जानवरों की वजह से बर्बाद हो जाती हैं. सरकार अब ऐसे नुकसान को भी बीमा के तहत कवर करने की योजना बना रही है. इसके लिए एक विशेष समिति बनाई गई है जो इसके लिए प्रक्रिया तय करेगी.

किसानों को पांच गुना फायदा

2016 में शुरू हुई इस योजना के तहत अब तक किसानों को ₹1.78 लाख करोड़ से ज्यादा मुआवजा दिया जा चुका है, जबकि उन्होंने कुल ₹35,466 करोड़ का ही प्रीमियम दिया है. यानी किसानों को लगभग 5 गुना ज्यादा फायदा हुआ है. बीमा राशि का अधिकांश हिस्सा केंद्र और राज्य सरकारें उठाती हैं.

14 बीमा कंपनियां दे रही हैं साथ

देश में इस योजना को 20 में से 14 बीमा कंपनियां चला रही हैं. अब तक 100 से ज्यादा फसलें अधिसूचित की जा चुकी हैं जिन्हें बाढ़, सूखा, ओलावृष्टि, चक्रवात जैसे प्राकृतिक संकट से सुरक्षा दी जा रही है.

राज्य सरकारों की देरी पर भी उठे सवाल

कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी ने बताया कि कई राज्य समय पर अपनी हिस्सेदारी का पैसा नहीं भेजते जिससे मुआवजा देर से मिलता है. अब सरकार एस्क्रो खाता प्रणाली लाने जा रही है ताकि राज्यों को पहले से राशि जमा करानी पड़े और किसानों को समय पर पैसा मिले.