आने वाले दिनों में अगर आपको चीनी के दामों में इजाफा नजर आए तो हैरान मत होइएगा. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की तरफ से बताया गया है कि प्रतिकूल मौसम की वजह से तीन दर्जन से ज्यादा चीनी मिलों को गन्ने की सप्लाई कम हुई. इसकी वजह से इन मिलों की तरफ से दो महीने पहले ही कामकाज बंद कर दिया है. रॉयटर्स ने इंडस्ट्री से जुड़े एक अधिकारी के हवाले से इस बात की जानकारी दी है. निश्चित तौर पर यह खबर परेशानियों को बढ़ाने वाली है.
चीनी की कीमतों में इजाफा
जिन चीन मिलों में कामकाज बंद हुआ है, वो भारत के प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्यों में स्थित हैं. शुरुआत में ही इन मिलों के बंद हो जाने से पता लगता है कि देश में इस बार अनुमान से अलग चीनी का उत्पादन कम रहेगा. उत्पादन संबंधी चिंताओं के कारण स्थानीय चीनी की कीमतें बढ़ रही हैं. साथ ही मिलों को अपने सीमित निर्यात कोटे की विदेशों में बिक्री के लिए उच्च कीमतों की मांग करनी पड़ रही है. भारत, जो दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक है, वहां से शिपमेंट की धीमी गति वैश्विक कीमतों को बढ़ाएगी.
सूखे की वजह से पड़ा असर
रॉयटर्स का कहना है कि इस साल मिलों के बंद होने की संख्या में भी काफी ज्यादा इजाफा हुआ है. नाम न बताने की शर्त पर उद्योग के एक सीनियर ऑफिशियल ने कहा कि पश्चिमी राज्य महाराष्ट्र, पड़ोसी कर्नाटक और उत्तरी राज्य उत्तर प्रदेश में कम से कम 37 मिलों ने परिचालन बंद कर दिया है. पिछले साल इसी अवधि के दौरान केवल 11 मिलें बंद हुई थीं. वेस्ट इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बी.बी. थोम्बरे ने बताया, ‘पिछले साल सूखे की वजह से गन्ने की पैदावार पर बुरा असर पड़ा था. कई जिलों में आपूर्ति खत्म हो गई, जिससे मिलों को समय से पहले बंद करना पड़ा.’
आधी क्षमता पर काम कर रहीं मिलें
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की कई मिलें पर्याप्त गन्ना पाने के लिए संघर्ष कर रही हैं. ये मिलें अपनी आधी क्षमता पर काम कर रही हैं और इस महीने के अंत तक सीजन के लिए बंद हो सकती हैं. इस साल सितंबर में खत्म होने वाले साल 2024-25 के दौरान भारत का चीनी उत्पादन 27.27 मिलियन मीट्रिक टन तक गिर सकता है. यह एक साल पहले की तुलना में 14.7 फीसदी कम है.
पिछले महीने भारतीय चीनी और बायो-एनर्जी प्रोड्यूसर संघ का अनुमान भी कुछ इसी तरह का था. हालांकि, वैश्विक व्यापार घरानों के डीलरों ने मिलों के बंद होने की गति को देखते हुए उत्पादन में और भी कमी आने का अनुमान लगाया है. मुंबई स्थित एक डीलर ने कहा, ‘हमारा अनुमान है कि उत्पादन घटकर लगभग 26 मिलियन टन रह सकता है. ‘
कीमतों में 10 फीसदी का इजाफा
मिलों के समय से पहले बंद होने और 10 लाख मीट्रिक टन चीनी निर्यात की अनुमति मिलने से स्थानीय कीमतों में एक महीने में 10 फीसदी का इजाफा हुआ है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित डीलर ने बताया, ‘स्थानीय कीमतों में बढ़ोतरी से मिलों की वित्तीय स्थिति में सुधार हुआ है. वे निर्यात के लिए चीनी की आपूर्ति के लिए 45,000 रुपये प्रति टन या उससे अधिक की मांग कर रहे हैं.’ उनका कहना था कि निर्यात धीमा है क्योंकि मिलें तुरंत अनुबंध पर हस्ताक्षर करने के लिए अनिच्छुक हैं, उन्हें उम्मीद है कि कीमतें और बढ़ेंगी.