सरकार ने किसानों को बड़ी राहत देते हुए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 150 रुपये बढ़ाकर 2425 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है. इससे गेहूं बेचने वाले किसानों को सीधा फायदा होगा. आज जैसे ही सरकारी खरीद शुरू हुई, मंडियों में हलचल बढ़ गई. जिले में इस बार 18 से 19 लाख क्विंटल गेहूं की पैदावार होने का अनुमान है. हालांकि, पिछले साल की तुलना में ज्यादा है.
गेहूं की सरकारी खरीद शुरू
सरकारी खरीद 1 अप्रैल से शुरू हो चुकी है. मंडियों में किसान अपनी फसल बेचने पहुंच रहे हैं. मार्केट कमेटी ने भी किसानों के लिए सुविधाएं बढ़ा दी हैं, ताकि उनकी उपज सही कीमत पर बिक सके. सरकार ने जिले में पांच खरीद केंद्र बनाए हैं जिसमें से पटौदी, फरुखनगर, सोहना, गुरुग्राम और खोड़ हैं. जबकि, गुरुग्राम की अनाज मंडी में केवल सब्जियों की बिक्री होती है, वहीं, गेहूं की खरीद के लिए खोड़ मंडी को पटौदी और जाटोली मंडी का केंद्र बनाया गया है.
मंडी में इस बार ज्यादा गेहूं आने की उम्मीद
पिछले साल जिले की मंडियों में 4.70 लाख क्विंटल गेहूं की आवक हुई थी. इस बार एमएसपी बढ़ने और फसल अच्छी होने की वजह से ज्यादा किसान सरकारी खरीद की ओर आकर्षित हो रहे हैं. उम्मीद है कि इस बार मंडियों में आवक ज्यादा होगी.
कितनी हुई है बुवाई और पंजीकरण?
इस बार जिले में 91,000 एकड़ में गेहूं की बुवाई की गई है. जिसमें से 46,600 एकड़ जमीन का पंजीकरण “मेरी फसल, मेरा ब्योरा” पोर्टल पर हो चुका है. वहीं, पटौदी मंडी में पिछले साल 3.29 लाख क्विंटल गेहूं आया था. जबकि, साल 2023 के मुकाबले 2024 में 47 फीसदी ज्यादा गेहूं मंडियों में आया था.
क्यों अहम है एमएसपी बढ़ोतरी?
बाजार में जैसे ही नई फसल आती है, खुले बाजार में गेहूं के दाम गिरने लगते हैं. ऐसे में एमएसपी बढ़ने से किसानों को घाटा नहीं होगा और उन्हें उनकी उपज का सही दाम मिलेगा. बढ़ी हुई कीमत से किसानों को फायदा मिलेगा और उनकी मेहनत का पूरा मुनाफा मिलेगा.