मछली पालन में किसानों की आय बढ़ाने के लिए उन्नत प्रजातियों का चयन महत्वपूर्ण है. इसी दिशा में, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के केंद्रीय मीठाजल जीवपालन अनुसंधान संस्थान (CIFA) ने जयंती रोहू नामक रोहू मछली की एक प्रजाति को तैयार किया है. यह प्रजाति अपनी तेज बढ़ोत्तरी दर और रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण मछली पालकों के बीच लोकप्रिय हो रही है. चलिए जानते हैं इसके इतना खास होने की वजह क्या है?
डेढ़ गुना तेजी से बढ़ती है जयंती रोहू
आमतौर पर बाकी रोहू मछलियों को तैयार होने में 16 से 18 महीने लगते हैं, लेकिन जयंती रोहू सिर्फ 8 से 10 महीने में 1 से 1.5 किलो की हो जाती है. यानी आधा समय, लेकिन बाजार भाव पूरा और इसका रेट बाजार में औसतन 130-140 रुपए प्रति किलो तक है. सीधा-सीधा मतलब है जब तक अन्य मछलियां तैयार होगीं, तब तक जंयती रोहू दो बार बिकेगी. यानी मुनाफा डबल मिलेगा.
पालने में खर्च भी कम
अब बात करें खर्च की तो इस मछली के पालन में करीब 20 फीसदी तक खर्च कम होता है. ऊपर से इसमें एरोमोनास हाइड्रोफिला जैसे रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित की गई है. इस वजह से इन मछलियों की मृत्यु दर कम होती है और पालन के दौरान स्थिर उत्पादन सुनिश्चित रहता है.
मछली पालकों की कमाई में तेजी से वृद्धि
जयंती रोहू तेजी से वृद्धि और कम रोगों के कारण, मछली पालकों को आर्थिक रूप से लाभ पहुंचा रही है. कई राज्यों में मछली पालक इस प्रजाति को अपनाकर अपनी आय में वृद्धि कर रहे हैं. देखा जाए तो जयंती रोहू का पालन आंध्र प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, असम और झारखंड जैसे राज्यों में किया जाता है. इसके अलावा अन्य राज्यों में भी इसका पालन बढ़ रहा है.
स्वाद, सेहत और बाजार तीनों में अव्वल
जयंती रोहू का स्वाद आम रोहू से बेहतर माना जाता है. ऊपर से इसमें ज्यादा प्रोटीन और न्यूट्रिशन होता है. यानी खाने वाले को सेहत, बेचने वाले को दाम दोनों का फायदा देती है. इसीलिए मछली पालक अब इसे सिर्फ मछली नहीं, बल्कि कमाई की मशीन कहने लगे हैं.