किसानों के लिए खुशखबरी! मेंथा और खस की खेती पर सरकार दे रही है सब्सिडी

मेंथा की खेती करने वाले किसानों को बहुत अच्छा मुनाफा हो रहा है, क्योंकि इसका इस्तेमाल टूथपेस्ट, च्विंगम, दवाओं और अन्य उत्पादों में होता है.

Noida | Updated On: 29 Mar, 2025 | 10:26 AM

आजकल पारंपरिक फसलों की तुलना में मॉडर्न फार्मिंग किसानों के लिए ज्यादा फायदेमंद साबित हो रही है. बिहार में भी इस बदलाव को देखा जा रहा है, खासकर एरोमेटिक फसलों की खेती में. ऐसे में मेंथा, खस, लेमनग्रास और तुलसी जैसी फसलें किसानों के लिए अच्छे मुनाफे का स्रोत बन चुकी हैं. बिहार सरकार ने इन फसलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए 50 प्रतिशत तक सब्सिडी देने का ऐलान किया है, जिससे किसान इन फसलों से और भी ज्यादा लाभ उठा सकेंगे.

एरोमेटिक फसलों पर जोर

बिहार सरकार ने औषधीय प्रोडक्ट्स की बढ़ती मांग को देखते हुए राज्य में एरोमेटिक फसलों की खेती को प्रोत्साहित करने का फैसला किया है. कृषि विभाग इस दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है. केंद्रीय औषधीय पौधा अनुसंधान संस्थान के अनुसार, इन फसलों के उत्पादन में बढ़ोतरी की योजना बनाई जा रही है और इसके लिए किसानों को सब्सिडी भी दी जाएगी. इस पहल का उद्देश्य किसानों की आय को बढ़ाना और राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करना है.

बिहार में एरोमेटिक फसलों की खेती

बिहार में एरोमेटिक फसलों की खेती तेजी से बढ़ रही है. राज्य में मेंथा की खेती 5,000 हेक्टेयर भूमि पर की जाती है, जबकि खस की खेती 500 हेक्टेयर भूमि पर होती है. इसके अलावा, लेमनग्रास और तुलसी जैसी फसलें भी बिहार में उगाई जा रही हैं. इन फसलों की खेती राज्य के विभिन्न जिलों जैसे सारण, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, दरभंगा, छपरा, समस्तीपुर, सीवान, औरंगाबाद, सहरसा और बेगूसराय में प्रमुखता से की जा रही है. इन जिलों में किसान इन फसलों से अच्छा लाभ प्राप्त कर रहे हैं.

कंपनियों द्वारा कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग

बिहार में एरोमेटिक फसलों की खेती के प्रति कंपनियों का ध्यान भी बढ़ा है. बिहार के किसानों से कई कंपनियां अब कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कर रही हैं. विशेष रूप से, बिहार में उगाए जाने वाले मेंथा और खस में अन्य राज्यों की तुलना में लगभग सात गुना ज्यादा खुशबू पाई जाती है. इस कारण कंपनियां बिहार के किसानों से इन फसलों की खेती करवाने में रुचि दिखा रही हैं, जो किसानों के लिए अतिरिक्त आय का स्रोत बन रहा है.

मेंथा और खस की बढ़ती मांग

मेंथा की खेती करने वाले किसानों को बहुत अच्छा मुनाफा हो रहा है, क्योंकि इसका इस्तेमाल टूथपेस्ट, च्विंगम, दवाओं और अन्य उत्पादों में होता है. पिछले कुछ सालों में मेंथा की डिमांड में तेजी आई है, जिससे किसानों को अच्छा लाभ मिल रहा है. बिहार में भी मेंथा का उत्पादन काफी बढ़ गया है, और यह राज्य में व्यापार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है. अब बाजार में मेंथा का तेल 1,000 रुपये प्रति लीटर तक बिक रहा है. इससे किसानों को अच्छी कीमत मिल रही है.

Published: 29 Mar, 2025 | 11:00 AM