हरियाणा में बाढ़ से निपटने की नई योजना, सरकार IFMIS सिस्टम करेगी लागू

हरियाणा सरकार ने बाढ़ नियंत्रण के लिए 657.99 करोड़ रुपये की लागत से 352 नई योजनाओं को मंजूरी दी है. इनमें से कई योजनाओं पर पहले से ही काम चल रहा है.

Noida | Published: 19 Mar, 2025 | 11:31 AM

हरियाणा सरकार ने बाढ़ से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है. हर साल बाढ़ के कारण राज्य में भारी तबाही होती है, जिससे जनजीवन और कृषि को गंभीर नुकसान पहुंचता है. इस समस्या के समाधान के लिए सरकार IFMIS (इंटीग्रेटेड फ्लड मैनेजमेंट एंड इन्फॉर्मेशन सिस्टम) लागू करने जा रही है. यह अत्याधुनिक प्रणाली बाढ़ की पूर्व चेतावनी देने और आपदा प्रबंधन को अधिक प्रभावी बनाने में मदद करेगी.

क्या है IFMIS और कैसे करेगा काम?

IFMIS (इंटीग्रेटेड फ्लड मैनेजमेंट एंड इन्फॉर्मेशन सिस्टम) एक आधुनिक बाढ़ प्रबंधन प्रणाली है, जिसमें सूचना प्रौद्योगिकी (IT) का व्यापक उपयोग किया जाएगा. यह सिस्टम बाढ़ की सटीक भविष्यवाणी करने, जलभराव को रोकने और राहत कार्यों को तेज करने में मदद करेगा. इसके जरिए सरकार समय रहते बचाव कार्य शुरू कर सकेगी, जिससे बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जान-माल के नुकसान को कम किया जा सकेगा. साथ ही, यह प्रणाली मिट्टी के कटाव को रोकने में भी कारगर साबित होगी, जिससे पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में सहायता मिलेगी. कुल मिलाकर, IFMIS हरियाणा में बाढ़ नियंत्रण की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है.

15 अप्रैल तक विभागों से मांगे गए प्रस्ताव

सरकार ने संबंधित विभागों से कहा है कि वे 15 अप्रैल तक अपने प्रस्ताव प्रस्तुत करें, ताकि IFMIS प्रणाली को जल्द से जल्द लागू किया जा सके. इस सिस्टम को उत्तर प्रदेश और बिहार में पहले से लागू सफल बाढ़ नियंत्रण तकनीकों के आधार पर डिजाइन किया गया है.

बाढ़ नियंत्रण के लिए 657.99 करोड़

हरियाणा सरकार ने बाढ़ नियंत्रण के लिए 657.99 करोड़ रुपये की लागत से 352 नई योजनाओं को मंजूरी दी है. इनमें से कई योजनाओं पर पहले से ही काम चल रहा है. अब तक 619 योजनाएं पूरी हो चुकी हैं, जबकि 302 योजनाओं पर काम जारी है.

डेटा आधारित निर्णय से होगा फायदा

अतिरिक्त गृह सचिव एवं वित्त आयुक्त (राजस्व) सुमिता मिश्रा ने कहा कि डेटा आधारित निर्णय लेने से सरकार बाढ़ से बचाव के लिए अधिक प्रभावी रणनीतियां बना सकेगी. यह प्रणाली सिर्फ बाढ़ नियंत्रण तक सीमित नहीं होगी, बल्कि पर्यावरण की सुरक्षा और जल संसाधनों के उचित प्रबंधन में भी मदद करेगी.