अगर हम बात करें अदरक की तो यह हर भारतीय घर की आन बान और शान मानी जाती है. यह न केवल खाने के स्वाद को बढ़ाती है बल्कि इसका इस्तेमाल आयुर्वेद में भी किया जाता है. इसी कड़ी में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान (IISR) ने मिलकर अदरक की नई किस्म IISR Surasa को विकसित किया है. बाजारों में इसकी बढ़ती मांग और अधिक कीमत को देखते हुए किसान इसकी खेती कर बंपर मुनाफा कमा सकते हैं.
‘IISR Surasa’ का विकास
‘IISR Surasa’ को IISR की ओड़ से किसानों के सहभागिता कार्यक्रम के तहत विकसित किया गया है. इसका मुख्य उद्देश्य अदरक उगाने वाले किसानों की मदद करना है ताकि उन्हें अधिक उपज और बेहतर गुणवत्ता मिल सके. यह स्वाद में पारंपरिक अदरक के मुकाबले कम तीखा होता है. इसके अलावा यह अन्य किस्मों की तुलना में ज्यादा उपज देती है, जिससे किसानों के लिए यह कई तरीकों से फायदेमंद साबित हो सकती है.
किस्म की खासियत
अदरक की इस किस्म को वैज्ञानिक तरीके से उगाया जा सकता है. यह प्रति हेक्टेयर 24.33 टन तक उपज देने की क्षमता रखती है. इसके कंद हल्के सुनहरे रंग के होते हैं और यह आकार में मोटे और मजबूत होते हैं. अदरक की इस किस्म में सामान्य किस्मों से कम रेशे पाए जाते हैं. वहीं इसमें फाइबर की मात्र कम और लगभग 21% ड्राई रिकवरी दर होने के कारण यह सूखी अदरक बनाने के लिए बेहतर मानी जाती है. यदि आप चाहें तो इस किस्म को पॉलीबैग में भी उगा सकते हैं. जो शहरी कृषि और बागवानी के लिए एक बेहतरीन ऑप्शन हो सकता हैं.
इन राज्यों में किए गए परीक्षण
अदरक की इस किस्म को कोझिकोड के कोडंचेरी में एक रिसर्चर जॉन जोसेफ ने विकसित की थी. फिर बाद में IISR के वैज्ञानिकों की टीम ने छह वर्षों तक लगातार इस किस्म का परीक्षण किया. इस किस्म का परीक्षण केरल, नागालैंड और ओडिशा के क्षेत्रों में किया गया. परीक्षण के दौरान इसके अच्छे परिणाम को देखते हुए केरल राज्य की वैरायटल रिलीज समिति ने IISR Surasa की खेती को स्वीकृति दें दी. किसान इसकी बुवाई आने वाले महीने यानी मई-जून से शुरू कर अधिक मुनाफा कमा सकते है. इस किस्म की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली, बलुई दोमट मिट्टी सबसे बेहतर होती है. आप इसकी खेती 25-35 डिग्री सेल्सियस तापमान पर वैज्ञानिक तरीकों से कर सकते हैं.