अगर आप एक किसान हैं और हर साल खेती के लिए यूरिया, डीएपी जैसे उर्वरकों पर निर्भर रहते हैं, तो यह खबर आपके लिए जरूरी है. सरकार ने इस साल उर्वरक सब्सिडी में 6 प्रतिशत की कटौती की है. इसका मतलब है कि किसानों को पहले की तुलना में थोड़ी ज्यादा कीमत पर उर्वरक खरीदने पड़ सकते हैं, खासकर फॉस्फेटिक और पोटाश वाले खादों के लिए.
कितना कम हुआ सब्सिडी बजट?
साल 2023-24 में जहां सरकार ने उर्वरकों पर ₹1.88 लाख करोड़ खर्च किए थे, वहीं 2024-25 में यह आंकड़ा ₹1.77 लाख करोड़ रह गया है. हालांकि यह अब भी संशोधित बजट अनुमान से कुछ ज्यादा है, लेकिन गिरावट की वजह से किसान थोड़े परेशान हो सकते हैं. वहीं, सरकार ने अनुमान लगाया है कि साल 2025-26 में किसानों को उर्वरक पर करीब ₹1.68 लाख करोड़ की सब्सिडी दी जाएगी. इसमें से यूरिया के लिए ₹1.19 लाख करोड़ और फॉस्फेट व पोटाश वाले उर्वरकों के लिए ₹49,000 करोड़ का बजट रखा गया है.
यूरिया पर राहत, डीएपी और पोटाश पर बोझ
schemलेकिन डीएपी और पोटाश जैसे उर्वरकों पर सब्सिडी में 19 प्रतिशत की बड़ी गिरावट आई है और ये घटकर ₹52,810 करोड़ रह गई है.
किसानों पर क्या असर पड़ेगा?
डीएपी का खुदरा मूल्य अभी ₹1,350 प्रति बैग है, जबकि बिना सब्सिडी के इसकी कीमत ₹3,500 तक हो सकती है. यूरिया का बैग ₹267 में मिलता है, जो बिना सब्सिडी करीब ₹1,750 तक का हो सकता है. यानी अगर सब्सिडी घटती है, तो किसानों की जेब पर सीधा असर पड़ेगा. छोटे और सीमांत किसानों के लिए यह चिंता का विषय बन सकता है.
क्या सोच रही है सरकार?
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, उर्वरक पर खर्च सरकार के लिए भारी बोझ बनता जा रहा है, इसलिए सब्सिडी में कटौती एक सोची-समझी रणनीति हो सकती है. उन्होंने बताया कि जैसे पोटाश पर पहले सब्सिडी ₹20 प्रति किलो थी, लेकिन अब इसे घटाकर ₹2 कर दिया गया है. शुरू में किसानों को दिक्कत हुई, लेकिन बाद में वो नई कीमतों के साथ सामंजस्य बिठा पाए.
इसी के साथ सरकार, सब्सिडी सीधे किसानों के खाते में भेजने की योजना बना रही है. इसके लिए कुछ जिलों में पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया जा सकता है. अभी तक डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के जरिए उर्वरक कंपनियों को सब्सिडी दी जाती है, जो किसान को पीओएस मशीन से खरीदारी के वक्त मिलती है.