महाराष्ट्र में एक बार फिर प्याज की कीमतें बड़ी समस्या बन रही हैं. अब यह मुद्दा राजनीतिक भी होता जा रहा है. उपमुख्यमंत्री अजित पवार की अगुवाई वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के दो विधायकों ने पिछले दिनों इस मामले को विधानसभा में भी उठाया. साथ ही उन्होंने सवाल किया कि फसल पर 20 फीसदी निर्यात शुल्क क्यों लगाया गया है? पवार की अगुवाई वाली एनसीपी , मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की सरकार में शामिल है और ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
सदन में उठा प्याज का मुद्दा
निफाड़ से विधायक दिलीप बांकर और येओला विधायक छगन भुजबल ने सदन में प्याज का मसला उठाया. भुजबल नासिक से ही आते हैं और यह राज्य का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक क्षेत्र है. एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी लासलगांव भी यहीं पर है. पिछले दिनों किसानों ने निर्यात शुल्क के विरोध में लासलगांव बाजार में कुछ समय के लिए व्यापार बंद कर दिया था. राज्य के मंत्री जयकुमार रावल ने विधायकों को भरोसा दिलाया है कि इस मामले को केंद्र के सामने उठाया जाएगा. साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि निर्यात शुल्क को जल्द से जल्द वापस ले लिया जाएगा. वहीं सत्ता पक्ष यह भी मान रहा है कि महायुति इस मसले को हवा दे रहा है.
20 फीसदी निर्यात शुल्क से नुकसान
प्याज साल 2024 में हुए पहले लोकसभा और फिर विधानसभा चुनावों में एक बड़ा मसला बनकर उभरा था. महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संघ के अध्यक्ष भारत दिघोले के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है कि साल की शुरुआत से ही प्याज की कीमतों में गिरावट आ रही है. प्याज की थोक कीमतें 2,300-2,400 रुपये प्रति क्विंटल था. लेकिन मार्च की शुरुआत से इसमें गिरावट आ रही है. मंगलवार को औसत मूल्य 1,700 रुपये प्रति क्विंटल था और गर्मियों की फसल की कटाई के साथ हमें उम्मीद है कि कीमत में और गिरावट आएगी. कई और प्याज किसानों की तरह दिघोले भी गिरती कीमतों के लिए 20 फीसदी निर्यात शुल्क को जिम्मेदार मानते हैं.
निर्यात कम लेकिन फिर भी अहम
भारत उत्पादन होने वाले 300 लाख टन से ज्यादा प्याज का करीब 10-15 फीसदी का निर्यात करता है. यह निर्यात कम है लेकिन घरेलू कीमतों को स्थिर रखने में यह अहम भूमिका निभाता है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने वित्त वर्ष 2022-2023 में 4,649.98 करोड़ रुपये की कीमत पर 25.63 लाख टन प्याज का निर्यात किया था. यह वित्त वर्ष 2023-24 में घटकर 4,138.33 करोड़ रुपये की कीमत पर 17.58 लाख टन रह गया. चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से नवंबर के बीच देश ने 2,754.85 करोड़ रुपये की कीमत के 6.73 लाख टन प्याज का निर्यात किया.
व्यापारियों ने बताया नुकसानदेह
व्यापारियों ने भी 20 फीसदी निर्यात शुल्क को नुकसानदेह बताया है. खासकर तब जब 10 लाख हेक्टेयर में गर्मी में प्याज की फसल काटी जा रही है. व्यापारियों का कहना है कि ईद के करीब होने के कारण मीडिल ईस्ट से मांग बढ़ गई है. किसानों की मदद करने और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबंध हटाने का यह सही समय है.’