केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने विदिशा आवास पर खेत में प्राकृतिक तरीके से खेती कर रहे हैं. उन्होंने अब ड्रैगन फ्रूट-एवोकॉडो और कटहल की खेती शुरू की है. उन्होंने कहा कि खेती के लिए प्राकृतिक तरीका अपनाना होगा. केवल भाषण देने से प्राकृतिक खेती नहीं होगी, हमें जमीन पर उतरना होगा. बता दें कि कृषि मंत्री अपने खेतों में लौकी, तोरई और मटर समेत अन्य सीजनल फसलों की खेती भी करते हैं.
प्राकृतिक खेती करने की सलाह दी
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह ने प्राकृतिक खेती को अपनाने के लिए किसानों को प्रेरित किया है. दिल्ली से मध्य प्रदेश अपने घर विदिशा पहुंचे तो उन्होंने किसानों को प्राकृतिक खेती करने के साथ ही ऐसी फसलों को उगाने की सलाह दी है, जिससे उन्हें खरीदने के लिए विदेश जाने वाला पैसा देश में ही बना रहे.
उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती सिर्फ भाषणों से नहीं होगी, उसे जमीन पर उतारना पड़ेगा. कृषि मंत्री के नाते मैंने तय किया है कि स्वयं अपने खेत में इसका प्रयोग करूं.
हमारी धरती आने वाली पीढ़ियों के लिए भी उपजाऊ रहे, खाद्य सुरक्षा बनी रहे, इसके लिए जरूरी है कि हम मिट्टी का स्वास्थ्य बचाए रखें. प्राकृतिक खेती ही इसका समाधान है.
प्राकृतिक खेती सिर्फ भाषणों से नहीं होगी, उसे जमीन पर उतारना पड़ेगा। कृषि मंत्री के नाते मैंने तय किया है कि स्वयं अपने खेत में इसका प्रयोग करूं।
हमारी धरती आने वाली पीढ़ियों के लिए भी उपजाऊ रहे, खाद्य सुरक्षा बनी रहे, इसके लिए ज़रूरी है कि हम मिट्टी का स्वास्थ्य बचाए रखें।… pic.twitter.com/UeIoSIbS2p
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) April 14, 2025
5 हजार करोड़ बचाने का फार्मूला बताया
कृषि मंत्री ने कहा कि आज विदिशा में अपने खेत पर एक नए संकल्प के साथ आया हूं. हमारे देश में ड्रैगन फ्रूट (कमलम), एवोकाडो जैसे फल हम लगभग 5 हजार करोड़ रुपये के खर्च करके विदेशों से आयात करते हैं. यह पैसा हमारे किसानों की जेब में जा सकता है, यदि हम इन फसलों की खेती अपने देश में ही करें.
अपने खेत में उगा रहे ड्रैगन फ्रूट समेत कई फसलें
कृषि मंत्री ने कहा कि इसी दिशा में मैं स्वयं अपने खेत में ड्रैगन फ्रूट, एवोकाडो और जैक फ्रूट की खेती का प्रयोग कर रहा हूं ताकि किसान देखें, समझें और आत्मविश्वास के साथ इस दिशा में आगे बढ़ें. कृषि मंत्री अपने खेतों में लौकी, तोरई, मटर समेत सीजनी फसलें भी करते हैं.
ICAR-IIHR के बीजों को अपनाएं किसान
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बैंगलुरु स्थित ICAR-IIHR ने ड्रैगन फ्रूट यानी कमलम, कटहल और एवोकाडो जैसी फसलों पर महत्वपूर्ण अनुसंधान किए हैं. बैंगलोर में इसके सफल प्रयोग हुए हैं, लेकिन अब जरूरत है कि देशभर में यह पहल आगे बढ़े और किसान इन फसलों की खेती तेजी से करना शुरू करें, ताकि उनकी आय भी बढ़े और विदेशों से खरीदने के लिए खर्च किया जाने वाला पैसा भी देश में बचाया जा सके.
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