एक समय था जब गधे को सिर्फ बोझा ढोने वाला जानवर माना जाता था. लेकिन अब यही गधा भारत में एक नए व्यापार की नींव बन रहा है. जी हां, हम बात कर रहे हैं गधी के दूध की, जिसे ‘व्हाइट गोल्ड’ यानी सफेद सोना भी कहा जा रहा है. अपने औषधीय गुणों और पोषक तत्वों के कारण गधी का दूध अब देश ही नहीं, विदेशों में भी तेजी से लोकप्रिय हो रहा है. खास बात ये है कि अब भारत से इसका निर्यात भी शुरू हो गया है.
चलिए जानते हैं कि गधी के दूध की डिमांड क्यों बढ़ रही है, कौन-कौन से राज्य और कंपनियां इससे जुड़ी हैं, और इसके उत्पादन में कौन-सी चुनौतियां सामने आ रही हैं.
क्यों खास है गधे का दूध?
गधी का दूध पोषक तत्वों से भरपूर होता है. इसमें प्रोटीन, विटामिन, मिनरल्स होते हैं और ये स्किन को निखारने और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है. यही वजह है कि ये दूध दवा उद्योग और कॉस्मेटिक इंडस्ट्री में काफी पसंद किया जा रहा है. साथ ही, यह लैक्टोज इंटॉलरेंस यानी जिन लोगों को गाय या भैंस का दूध नहीं पचता, उनके लिए भी यह बेहतर ऑप्शन है.
भारत में कहां होता है उत्पादन?
भारत में मुख्य रूप से गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु और हरियाणा जैसे राज्यों में गधी का दूध निकाला जाता है. यहां कई फार्म बनाए गए हैं, जो खासतौर पर गधों की देखभाल करते हैं और दूध निकालते हैं.
कुछ प्रमुख कंपनियों में शामिल हैं:
Joyful Donkey Farm
Asino Donkey Farm
Mishree Enterprises
Trilochan Donkey Farms
MJM Donkey Farm
ये कंपनियां न सिर्फ देश में दूध की सप्लाई कर रही हैं, बल्कि विदेशों को भी निर्यात कर रही हैं.
विदेशों में मांग
भारत से मुख्य रूप से कोस्टा रिका, पेरू और इराक जैसे देशों में दूध गया है. वहीं, मैक्सिको, तुर्की और फ्रांस दुनिया के सबसे बड़े डंकी मिल्क निर्यातक देश हैं.
डंकी मिल्क HSN कोड क्या है?
अगर गधी का दूध विदेश भेजना है, तो सिर्फ पैकिंग और क्वालिटी ही नहीं, दस्तावेजों में सही कोड का होना भी जरूरी है. इस कोड को HSN कोड (Harmonized System of Nomenclature) कहा जाता है. यह एक तरह का इंटरनेशनल सिस्टम है, जो हर प्रोडक्ट को एक खास पहचान देता है. इसके बिना कोई भी सामान कानूनी तरीके से निर्यात नहीं किया जा सकता.
गधे के दूध के लिए दो मुख्य HSN कोड तय हैं:
401- ताजा दूध, जिसमें कोई चीनी या स्वीटनर नहीं मिलाया गया हो
402- पाउडर दूध या ऐसा दूध जिसमें चीनी या कोई मिठास मिलाई गई हो
जब भी भारत से डंकी मिल्क विदेश भेजा जाता है, इन कोड्स का इस्तेमाल कस्टम और शिपमेंट दस्तावेजों में किया जाता है ताकि पूरा प्रोसेस ट्रांसपेरेंट और मानकों के अनुसार हो. इन कोड्स से ही तय होता है कि उत्पाद कौन-सी कैटेगरी में आता है और उस पर कौन-से टैक्स या नियम लागू होंगे.
ये हैं चुनौतियां
गधी के दूध के कारोबार में संभावनाएं तो खूब हैं, लेकिन इसकी राह इतनी भी आसान नहीं है. सबसे बड़ी चुनौती है कि भारत में गधों की संख्या काफी कम है, खासकर जब तुलना चीन या मिस्र जैसे देशों से की जाए. इससे दूध का उत्पादन सीमित हो जाता है.
इसके अलावा, जानवरों को खास खुराक और देखभाल की जरूरत होती है, जिससे उत्पादन की लागत काफी बढ़ जाती है. वहीं, इस व्यापार से जुड़ा सही और ताजा डेटा उपलब्ध नहीं होने के कारण एक्सपोर्ट से जुड़ी नेटवर्किंग और योजनाएं बनाना भी मुश्किल हो जाता है. इन चुनौतियों के बावजूद, यह क्षेत्र धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है और यदि सही दिशा में काम हो, तो इसके बड़े फायदे मिल सकते हैं.
गधे के दूध का भविष्य
जैसे-जैसे लोग प्राकृतिक और हेल्थ-फ्रेंडली प्रोडक्ट्स की तरफ बढ़ रहे हैं, गधी का दूध एक नया हेल्थ सुपरफूड बनता जा रहा है. अरब देशों और यूरोप में इसकी मांग लगातार बढ़ रही है. अगर भारत में सही रणनीति, प्रशिक्षण और सरकारी सहयोग मिले, तो यह एक बड़ा एक्सपोर्ट बिजनेस बन सकता है.