खारे पानी के बाद भी राजस्‍थान के 4 जिलों ने सौंफ की खेती में कैसे रचा इतिहास?

तीन साल तक हुई एक रिसर्च में पता चला है कि सौंफ की खेती राजस्‍थान के किसानों की किस्‍मत बदल रही है.  रिसर्च में खारे पानी से ड्रिप सिंचाई के जरिये फसल की कई किस्मों की उपज की जांच की गई.

Noida | Published: 31 Mar, 2025 | 04:38 PM

सौंफ, वह मसाला जिसका प्रयोग कई तरह की डिशेज को स्‍वादिष्‍ट बनाने के अलावा माउथ फ्रेशनर के तौर पर भी किया जाता है. अब यही सौंफ किसानों की आर्थिक स्थिति बदलने में भी कारगर साबित हो रही है. राजस्‍थान के किसान अब सौंफ की खेती करके मालामाल हो रहे हैं. खास बात है कि राजस्‍थान के ये वो जिले हैं जो पूरी तरह से रेगिस्‍तान से घिरे हैं और किसानों को सिंचाई के लिए खारे पानी पर निर्भर रहना पड़ता है. अब ये चारों जिले सौंफ उत्‍पादन में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. 

बदल रही किसानों की किस्‍मत 

तीन साल तक हुई एक रिसर्च में पता चला है कि सौंफ की खेती राजस्‍थान के किसानों की किस्‍मत बदल रही है.  रिसर्च में खारे पानी से ड्रिप सिंचाई के जरिये फसल की कई किस्मों की उपज की जांच की गई. साथ ही इसमें नमक से प्रभावित मिट्टी के प्रबंधन पर भी चर्चा की गई है, जहां सौंफ की खेती की जा रही है.  बीकानेर स्थित स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के रिसर्चर्स ने बीकानेर, नागौर, चूरू और बाड़मेर जिलों में यह अध्ययन किया. टेस्‍ट्स में उन्‍होंने सौंफ की कई किस्मों की उपज को मापा. साथ ही इन पर सॉल्‍ट टॉलरेंस टेस्‍ट भी किया. उन्‍हें इस टेस्‍ट के उत्साहजनक और हैरान करने वाले नतीज मिले. 

सरकार की तरफ से कोशिशें 

रिसर्च के अनुसार फीनिकुलम वल्गेर के रूप में वर्गीकृत की गई सौंफ एक कठोर, बारहमासी जड़ी बूटी है. इसके फूल पीले और पत्ते पंखदार होते हैं. देश में किसानों की आय पिछले कुछ समय से लगातार चर्चा का विषय बनी हुई. वहीं केंद्र और राज्‍य सरकार की तरफ से कई तरीकों से किसानों की इनकम को बढ़ाने की कोशिशें जारी हैं. अलग-अलग स्‍तर पर इस दिशा में प्रयास जारी हैं. इन्‍हीं प्रयासों के तहत उन्‍हें इस तरह की फसलों की खेती करने के लिए प्रोत्‍साहित करना है जिसमें उन्‍हें ज्‍यादा से ज्‍यादा फायदा हासिल हो. सौंफ की खेती इसका ही एक उदाहरण है. 

खारे पानी के लिए उपयुक्‍त किस्‍म 

पिछले साल आई इस रिसर्च रिपोर्ट में कृषि विशेषज्ञों ने बताया कि खारे पानी से ड्रिप सिंचाई से सौंफ उत्पादन का क्षेत्र बढ़ सकता है. साथ ही उत्पादकता में वृद्धि हो सकती है, जिससे सौंफ की खेती करने वाले किसानों को फायदा हो सकता है. कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार सौंफ की किस्म आरएफ-290 खारे पानी से सिंचाई के लिए उपयुक्त पाई गई है. इसमें यह भी बताया गया है कि प्रायोगिक सिंचाई से प्रति हेक्टेयर लगभग नौ क्विंटल सौंफ का उत्पादन हुआ. जिन क्षेत्रों में ट्यूबवेल के माध्यम से खेती की जाती है, वहां भी सौंफ का अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है. 

कहां पर होती सबसे ज्‍यादा खेती  

इन ट्रायल्‍स को कृषि अनुसंधान केंद्र, बीकानेर में किया गया था.  विशेषज्ञों ने कहा, ‘रेगिस्तानी क्षेत्र के किसान जीरे के विकल्प के रूप में सौंफ की खेती कर सकते हैं, जो अक्सर पाले के कारण नष्ट हो जाती है.’ राजस्थान और गुजरात देश में सौंफ उत्पादन में अग्रणी राज्य हैं, जो कुल उत्पादन में लगभग 96 फीसदी का योगदान देते हैं. राजस्थान में, सौंफ की सबसे अधिक खेती नागौर जिले में होती है, जो 10,000 हेक्टेयर में फैला हुआ है. इसकी खेती सिरोही, जोधपुर, जालौर, भरतपुर और सवाई माधोपुर जिलों में भी होती है.