ओडिशा के महिलाओं द्वारा उगाए गए हरे पपीते (Green Papaya) ने अब अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी पहचान बना ली है. पहली बार, ओडिशा के किसान उत्पादक संगठन (FPO) द्वारा लंदन को 1 टन हरा पपीता एक्सपोर्ट किया गया है. इसे किसानों को न केवल अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली, बल्कि उनकी आमदनी में भी 40-62% तक की बढ़त हुई है.
महिलाओं की मेहनत का फल
यह सफलता धेनकनाल जिले के सप्तसाज्या एग्रो प्रोड्यूसर कंपनी के 14 महिला किसान सदस्यों की मेहनत का नतीजा है. इन महिलाओं ने अपने खेतों में प्रीमियम क्वालिटी के हरे पपीते का उत्पादन किया, जिसे पहली बार लंदन के बाजारों में भेजा गया है. इस पूरे अभियान को सफल बनाने में पल्लाडियम कंसल्टिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ अमित पाटजोशी की अहम भूमिका रही. उन्होंने बताया कि हरे पपीते की यूके और आयरलैंड जैसे देशों में काफी मांग है, क्योंकि यह पोषण से भरपूर और स्वाद में भी बेहतरीन होते है.
क्यों खास है ओडिशा का हरा पपीता?
हरे पपीते की वर्ल्ड बाजार में पहचान इसलिए भी बढ़ रही है, क्योंकि ओडिशा में यह प्राकृतिक रूप से उगाया जाता है और इसमें किसी भी प्रकार के केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया जाता. इसके अलावा, यहां की जलवायु और मिट्टी इसे विशेष स्वाद और पोषण प्रदान करती है. कम लागत में बेहतर उत्पादन होने के कारण यह अन्य देशों के उत्पादों की तुलना में सस्ता और उच्च गुणवत्ता वाला होता है.
अंतरराष्ट्रीय स्टैंडर्ड्स पर खरा उतरा
यूरोपीय देशों में खाद्य उत्पादों के लिए कड़े नियम और स्टैंडर्ड्स होते हैं. ओडिशा के हरे पपीते ने इन सभी को सफलतापूर्वक पूरा किया. पपीते का फील्ड वेरिफिकेशन किए जाने के बाद फाइटो-सैनिटरी सर्टिफिकेशन (Plant Quarantine Certification) मिला. फिर एपीडा (APEDA) द्वारा अनुमोदित पैक हाउस में इसकी जांच हुई. यूरोपीय संघ (EU) के स्टैंडर्ड्स के अनुसार केमिकल रेजिड्यू टेस्ट किया गया जहां ओडिशा के हरे पपीते ने सफलतापूर्वक पास किया.
कैसे हुई यह ऐतिहासिक डील?
इस एक्सपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर खासतौर से हाइलाइट किया गया. इसमें PVTG (Particularly Vulnerable Tribal Groups) से आने वाली महिलाएं भी शामिल थीं. यह उनके लिए गर्व और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है. हरे पपीते की यह पहली बैच कोलकाता के नेताजी सुभाष चंद्र बोस इंटरनेशनल एयरपोर्ट से लंदन के लिए रवाना हुई. इस पूरी प्रक्रिया में ओडिशा कृषि एवं किसान सशक्तिकरण विभाग, एपीडा (Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority) और पल्लाडियम कंसल्टिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की अहम भूमिका रही हैं.ओडिशा में 144 महिला किसानों का यह संगठन लगभग 20 एकड़ क्षेत्र में हरे पपीते की खेती कर रहा है. इस सफल पहल से अन्य महिला किसान भी अपने उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में भेजने के लिए प्रेरित होंगी.