हर किसान के लिए खाद और उर्वरक का बड़ा महत्व होता है. किसानों के लिए बिना उर्वरक या खाद के खेती करना असंभव सा होता है. इस समय सरकार की तरफ से भी कई ऐसी योजनाएं चलाई जा रही हैं जिनके तहत किसानों को बहुत ही कम दरों पर खाद या उर्वरक मुहैया कराए जा रहे हैं. इस स्कीम का ही एक हिस्सा है DBT यानी डायरेक्ट बैनिफिट ट्रांसफर जिसमें किसानों को खाद पर सब्सिडी देने का काम किया जा सकता है. सरकार फिलहाल कुछ जगहों पर इसे एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लॉन्च करेगी.
डीबीटी से अकाउंट में आएगा पैसा
किसानों को जिस तरह से अकाउंट में पीएम किसान सम्मान निधि के तहत डायरेक्ट कैश ट्रांसफर किया जाता है, ठीक उसी तरह से डीबीटी में भी उन्हें खाद का पैसा ऑनलाइन सीधा अकाउंट में ट्रांसफर किया जाएगा. सरकार का मानना है कि इस तरह से सब्सिडी के पैसे का सही प्रयोग हो सकेगा और ज्यादा से ज्यादा किसानों को इसका फायदा मिल सकेगा. साथ ही भ्रष्टाचार को रोकने में भी मदद मिलेगी. यह प्रोजेक्ट कहां तक पहुंचा है, इस बारे में कोई भी जानकारी नहीं मिल सकी है. सरकार फिलहाल एक मॉडल पर काम कर रही है.
कितनी है खाद पर मिलने वाली सब्सिडी
अगर खाद पर मिलने वाली सब्सिडी की बात करें तो इस राशि में लगातार इजाफा हुआ है. खाद सब्सिडी की राशि 1,23,833.64 करोड़ रुपये के आंकड़ें को छू गई है. इसमें यूरिया की भागेदारी 86,560 करोड़ और फॉस्फेटिक-पोटाश खाद की हिस्सेदारी 37,273.35 करोड़ रुपये है. अरबों रुपये के इस फंड का सही इस्तेमाल हो सके, इसके लिए सरकार डीबीटी जैसी भरोसेमंद स्कीम पर विचार कर रही है. ऐसा माना जा रहा है कि इसे लेकर तैयारी भी शुरू हो चुकी है.
कैसे मिलेगी सब्सिडी
एक रिपोर्ट पर अगर यकीन करें तो कृषि मंत्रालय ने पीएम किसान, पीएम फसल बीमा योजना, सॉइल हेल्थ कार्ड और अभी हाल में शुरू हुई यूनीक आईडी स्कीम जैसी कई अहम योजनाओं की जानकारी को खाद मंत्रालय के साथ साझा किया है. इन सभी योजनाओं में किसानों की जमीन के बारे में पूरी डिटेल्स और बोई जाने वाली फसल तक की जानकारी होती है. इसके आधार पर ही किसानों को डीबीटी के जरिये खाद की सब्सिडी उपलब्ध कराई जा सकेगी. इन तमाम डिटेल्स को खाद मंत्रालय के साथ शेयर करने का मकसद पायलट प्रोजेक्ट को तेजी से आगे बढ़ाना है. मंत्रालय इस जानकारी के आधार पर ही सब्सिडी के मॉड्यूल को तैयार कर सकता है.
इन बातों का रखा जाएगा ध्यान
कृषि मंत्रालय के सूत्रों की तरफ से मिली जानकारी पर अगर यकीन करें तो सब्सिडी का मॉड्यूल तैयार करने की जिम्मेदारी खाद मंत्रालय पर है. इसमें यह तय किया जाएगा कि किन इलाकों में डीबीटी स्कीम को पहले लॉन्च किया जाए और पहले कितने किसानों को इसमें कवर किया जाना चाहिए. इसमें बटाईदार किसानों को भी शामिल किया जाएगा जिससे सरकार को यह जानकारी मिल सकेगी कि सब्सिडी का पैसा कहां-कहां जा रहा है. सरकार नहीं चाहती है कि सब्सिडी का पैसा सिर्फ खेत के मालिक के हिस्से में ही आए. बड़ी संख्या में बटाईदार किसान भी खेती में शामिल होते हैं और वो भी इसमें निवेश करते हैं.
अभी क्या है स्थिति
इस योजना की खास बात होगी कि सरकार किसान के खेत और उसके रकबे के आधार पर सब्सिडी मुहैया कराएगा. यहां तक कि फसल की बुवाई हुई है और खेत की मिट्टी के आधार पर भी किसानों को खाद सब्सिडी का पैसा मिलेगा. सरकार का मकसद खाद और सब्सिडी के गैर-वाजिब इस्तेमाल को भी रोकना है. गौरतलब है कि फिलहाल पूरे देश में डीबीटी के जरिये खाद सब्सिडी दी जा रही है. लेकिन इसका फायदा किसानों को नहीं देकर खाद कंपनियों को मिलता है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जिस कंपनी की खाद, खाद डीलरों के यहां पीओएस मशीनों के जरिये बिकती है, उसके आधार पर सरकार कंपनियों को सब्सिडी देती है. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर किसानों को डायरेक्ट सब्सिडी का लाभ दिया जाए तो इसमें खर्च और लागत में बड़ी कमी आ सकती है.