मेघालय, भारत के नॉर्थ ईस्ट का वह हिस्सा जो अपनी खूबसूरती और धान की खेती के लिए जाना जाता है. यहां का री-भोई जिला कृषि के क्षेत्र में महत्वपूर्ण जगह रखता है. यहां चावल मुख्य खाद्यान्न है. लेकिन इस और जिले में विभिन्न ऊंचाई, मिट्टी और जलवायु के कारण बागवानी की भी काफी संभावनाएं हैं. अब यही री-भोई जिला अपनी एक खास टेक्निक की वजह से खबरों में बना हुआ है. साथ ही साथ कई तरह की परियोजनाएं यहां के किसानों की जिंदगी को बदल रही हैं.
समुदायों को होगा सीधा फायदा
नीति आयोग की तरफ से ट्विटर (एक्स) पर मेघालय के बारे में एक खास जानकारी साझा की गई है. आयोग ने लिखा है कि मेघायल, एस्पीरेनशनल डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम्स का हिस्सा है. इसके तहत नए और इनोवेटिव प्रोजेक्ट्स बेहतर आजीविका, बेहतर आय और सतत विकास सुनिश्चित करके जीवन बदल रहे हैं. आधुनिक खेती की तकनीक, कुशल संसाधन उपयोग और जलवायु-लचीले तरीकों को पेश करके, ये पहल यहां समुदायों को सीधे लाभ का एहसास कराने और बेहतर तरीके अपनाने में मदद करती हैं.
Innovative Farming in Ri-Bhoi!
Innovative projects in Aspirational Districts are transforming lives by ensuring better livelihoods, improved incomes and sustainable development. By introducing modern farming techniques, efficient resource use and climate-resilient practices,… pic.twitter.com/tVLtVjLAGM
— NITI Aayog (@NITIAayog) March 11, 2025
क्या है इस पहल का मकसद
आयोग की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसारी री-भोई में इस कार्यक्रम के तहत, किसानों को कुल 77,000 विंटर डॉन स्ट्रॉबेरी के पौधे वितरित किए गए. 20,000 मीटर ड्रिप सिंचाई लाइनें और 750 किलोग्राम प्लास्टिक मल्च प्रदान किया गया. यह पहल टिकाऊ स्ट्रॉबेरी की खेती को बढ़ावा देने वाली है. इसका मकसद फसल की पैदावार बढ़ाना और स्थानीय किसानों का समर्थन करना है.
आयोग का कहना है कि स्ट्रॉबेरी रोपण पहल टिकाऊ कृषि का एक आदर्श मॉडल है. आयोग के मुताबिक किसानों को उच्च गुणवत्ता वाली रोपण सामग्री, कुशल सिंचाई प्रणाली और मल्चिंग सुविधाएं देकर यह परियोजना स्ट्रॉबेरी की खेती में प्रमुख चुनौतियों का समाधान करती है.
बदलेगी किसानों की जिंदगी
ड्रिप सिंचाई और प्लास्टिक मल्च के प्रयोग से पानी की खपत कम होती है और खरपतवार की वृद्धि भी रुकती है. इससे फसल की पैदावार में सुधार होता है, मजदूरी की लागत कम होती है और पर्यावरणीय स्थिरता बढ़ती है. इसके अलावा, सस्टेनेबल तरीकों को अपनाने से ग्रामीण विकास में योगदान मिल सकता है. आजीविका में सुधार हो सकता है और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा मिल सकता है.