महाराष्ट्र के नासिक जिले में प्याज की खेती करने वाले किसान इन दिनों काफी परेशान हैं. परेशान किसान प्रदर्शन पर उतरे हैं और सोमवार को भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला है. कीमतें गिरने से परेशान किसान लासलगांव में कृषि उपज मंडी समिति (एपीएमसी) में पानी की टंकी पर चढ़ गए. किसानों ने कीमतों में भारी गिरावट के खिलाफ प्रदर्शन किया. उनका कहना था कि प्याज रसोई में इस्तेमाल होने वाली इस जरूरी चीज है. इसके साथ ही उन्होंने न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) हटाने की मांग की. उनका कहना है कि प्याज की कीमतों की वजह से उनकी आय पर भी प्रतिकूल असर पड़ा है.
सबसे बड़ी मंडी है लासलगांव
लासलगांव एशिया की सबसे बड़ी थोक प्याज मंडी है जहां पर करीब 15 किसानों ने विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया. किसानों गर्मियों की फसल वाले प्याज की गिरती कीमतों पर अपनी परेशानी जाहिर की. प्रदर्शनकारियों ने मंडी में प्याज की नीलामी भी रोक दी जिससे उनका आंदोलन और बढ़ गया. न्यूज एजेंसी पीटीआई से बातचीत में एक किसान ने बताया, ‘लाल और गर्मियों की फसल वाले प्याज की औसत कीमतों में 300-500 रुपये की खासी कमी आई है. प्याज पर सरकार द्वारा लगाया गया न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) तुरंत खत्म किया जाना चाहिए. यह हमारी आय को नुकसान पहुंचा रहा है. विरोध में, हमने नीलामी भी बंद कर दी है.’
कीमतों की वजह से किसानों में असंतोष
एपीएमसी के एक अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि सोमवार को मंडी में नीलामी के लिए कुल 19,508 क्विंटल प्याज आया. लाल प्याज का औसत मूल्य 1,700 रुपये प्रति क्विंटल रहा, जबकि गर्मियों की फसल का मूल्य 1,800 रुपये प्रति क्विंटल रहा. इससे अलग सिर्फ पांच दिन पहले ये कीमतें 2,250 रुपये से 2,300 रुपये प्रति क्विंटल के बीच थीं. इस तेज गिरावट ने किसानों में असंतोष पैदा कर दिया और इस वजह से प्रदर्शन हुआ.
सरकारी नियमों से परेशान किसान
प्याज की कीमतों में भारी गिरावट बाजार की मांग और निर्यात नीतियों में उतार-चढ़ाव के बीच आई है. भारत के प्याज हब के रूप में जाने जाने वाले लासलगांव के किसानों ने अक्सर मूल्य निर्धारण तंत्र और सरकारी नियमों पर अपनी शिकायतें जाहिर की हैं जो उनकी आय को प्रभावित कर रहे हैं. कई किसानों ने अधिकारियों से तत्काल उपाय शुरू करने का आग्रह किया है, जिससे बाजार में प्याज की कीमतों में राहत और स्थिरता मिले.