तोरई एक लोकप्रिय हरी सब्जी है, जिसकी खेती भारत में बड़े पैमाने पर की जाती है. लेकिन यह सिर्फ एक सब्जी नहीं, बल्कि किसानों के लिए एक बड़ा व्यावसायिक अवसर भी है. किसान तोरई की खेती को करोड़ों के व्यवसाय में बदल सकते हैं, लेकिन आप भी सोच रहे होंगे कैसे?
दरअसल, तोरई को प्राकृतिक स्पंज या लूफा के रूप में दुनियाभर में उपयोग किया जाता है. वर्तमान में ऑरगैनिक उत्पादों की मांग बढ़ रही है, जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा मिल सकता है. आइए जानते हैं कैसे लूफा की खेती से करोड़ो कमाए जा सकते हैं.
क्या है लूफा?
लूफा एक प्राकृतिक स्पंज है, जिसका इस्तेमाल आधुनिक दौर में नहाने, बर्तन और फर्श साफ करने में इस्तेमाल किया जाता है. प्लास्टिक स्क्रबर के बजाय लूफा एक इको-फ्रेंडली विकल्प है. तोरई सूखने के बाद लूफा का रूप ले लेती है.
लूफा की खेती कैसे की जाए?
–लूफा की खेती गर्म और आर्द्र जलवायु में अच्छी होती है. दोमट मिट्टी इस फसल के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है.
–मार्च से जून तक इसका सर्वोत्तम समय होता है. बीजों को 2-3 सेंटीमीटर गहराई में बोया जाता है, और 2-3 दिनों में इनमें अंकुरण शुरू हो जाता है.
–लूफा की बेल होने के कारण इसे सहारे की जरूरत होती है. नियमित सिंचाई और जैविक खाद का उपयोग फसल की गुणवत्ता को बढ़ाता है.
–जब लूफा पूरी तरह सूख जाता है, तब इसे तोड़कर छीलने के बाद सुखाया जाता है. इससे स्पंज तैयार किया जाता है.
लूफा से करोड़ों की कमाई
बाजार की मांग- प्राकृतिक और जैविक उत्पादों की मांग अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ रही है. ऐसे में लूफा 50 रुपये से लेकर 2,000 रुपये तक बिक सकता है.”
प्रसंस्करण और ब्रांडिंग- लूफा से बनने वाले स्पंज, स्क्रबर, और अन्य उत्पादों की पैकेजिंग और ब्रांडिंग कर इसे प्रीमियम उत्पाद के रूप में बेचा जा सकता है.
ई-कॉमर्स और निर्यात- लूफा उत्पादों को ऑनलाइन प्लेटफार्मों पर बेचकर बड़ी आमदनी कमाई जा सकती है. साथ ही, विदेशी बाजारों में निर्यात करने से भारी मुनाफा मिलता है.
खेती और थोक आपूर्ति- तोरई की खेती के दौरान ही कंपनियों से अनुबंध करें या इसे होटल और ब्यूटी इंडस्ट्री को थोक में बेचकर अधिक मुनाफा कमा सकते हैं.