तमिलनाडु में पिछले दिनों आम बजट पेश किया गया. इस बजट में किसानों के लिए कई बड़ी योजनाओं का ऐलान किया गया. कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री एम.आर.के. पन्नीरसेल्वम की तरफ से पेश किए गए इस बजट में राज्य में तिलहन और बाजरा का उत्पादन बढ़ाने के लिए एक खास मिशन की घोषणा भी की गई. कृषि मंत्री का कहना था कि इस मिशन का मकसद राज्य में तिलहन क्षमता को बढ़ाना है. बजट में यह ऐलान ऐसे समय हुआ है जब पिछले दिनों एक रिपोर्ट में राज्य में तिलहन की खेती के रकबे में गिरावट की जानकारी आई थी.
खेती के क्षेत्र को बढ़ाना है मकसद
साल 2025 के लिए कृषि बजट पेश करते हुए पन्नीरसेल्वम ने कहा कि आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए 108.06 करोड़ रुपये की लागत से तमिलनाडु तिलहन मिशन लागू किया जाएगा. उन्होंने कहा कि तमिलनाडु बाजरा मिशन का मकसद खेती के क्षेत्र, उत्पादन और उत्पादन क्षमता को बढ़ाना है. बजट में इस मिशन के लिए कुल 55.44 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं.
सरकार ने साल 2023 के बजट में भी पांच वर्षों के दौरान बाजरे की खेती के क्षेत्र को 50,000 एकड़ तक बढ़ाने के लिए एक मिशन को लागू किया था. उस समय कृषि मंत्री पन्नीरसेल्वम ने कहा था कि तमिलनाडु बाजरा मिशन परती भूमि पर बाजरा की खेती लाने और 50,000 एकड़ में बाजरा की फसल विविधीकरण के लिए सब्सिडी प्रदान करेगा.
तिलहन की खेती में गिरावट
वहीं कुछ दिनों पहले आई द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपार्ट में कहा गया है कि मदुरै जिले में तिलहन की खेती को बेहतर बनाने के लिए कृषि विभाग की तरफ से कई तरह के अवेयरनेस प्रोग्राम चलाए जाने के बावजूद खेती के रकबे में भारी गिरावट आई है. किसानों का कहना है कि बाजार में मांग की कमी की वजह से ऐसा हुआ है.
कृषि विभाग की तरफ से बताया गया है कि मदुरै में धान और बाजरा की खेती सबसे ज्यादा की जाती है. यहां 87,000 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन पर इसकी खेती होती है. दालें और तिलहन जिले में दूसरी सबसे ज्यादा उगाई जाने वाली फसलें हैं, खास तौर पर वर्षा आधारित क्षेत्रों में. कई तरह के प्रचार और जागरूकता कार्यक्रमों के बावजूद, रबी और खरीफ सीजन में दलहन, कपास और तिलहन की खेती लक्ष्य से काफी नीचे है.
बाजरा की खेती में सुधार
अधिकारियों ने कहा कि किसान आदी महीने (तमिल कैलेंडर का एक महीना) में फसलों की खेती शुरू कर देंगे, लेकिन किसान फसलों से बाहर निकलने के लिए बाकी मुद्दों की तरफ भी इशारा करते हैं. कृषि विभाग से मिले आंकड़ों के तिलहन की खेती के लिए 1,500 हेक्टेयर और कपास की खेती के लिए 5,000 हेक्टेयर से अधिक का उपयोग किया जाता है. हालांकि बाजरा की खेती में किसान आगे बढ़े हैं. विभाग की तरफ से बाजरा के लिए 32,459 हेक्टेयर का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन 34,753 हेक्टेयर से अधिक की खेती की गई है.