भारत कृषि निर्यात में तरक्की कर रहा है जो कि अच्छी बात है लेकिन दूसरी तरफ आयात में भी इजाफा हो रहा है. यह बात विशेषज्ञों को परेशान कर रही है. एक रिपोर्ट पर अगर यकीन करें तो कृषि निर्यात में औसत से ज्यादा की वृद्धि दर्ज की गई है. बासमती चावल, मसाले, कॉफी और तम्बाकू शिपमेंट 2024-25 में नई ऊंचाईयां छूने को तैयार हैं. लेकिन दूसरी तरफ आयात, विशेष तौर पर दालों और खाद्य तेलों के आयात में हो रहा इजाफा परेशान करने वाला है.
सरप्लेस में आई गिरावट
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में बताया गया है भारत का एग्रीकल्चर ट्रेड सरप्लस यानी कृषि व्यापार अधिशेष सिकुड़ता जा रहा है. रिपोर्ट के अनुसार समुद्री उत्पाद निर्यात साल 2021-22 में 7.8 बिलियन डॉलर और 2022-23 में 8.1 बिलियन डॉलर से घटकर 2023-24 में 7.4 बिलियन डॉलर हो गया है. चालू वित्त वर्ष में भी गिरावट जारी है. भारत का कृषि निर्यात 6.5 प्रतिशत बढ़ा है, जो अप्रैल-दिसंबर 2023 में 35.2 बिलियन डॉलर से बढ़कर अप्रैल-दिसंबर 2024 में 37.5 बिलियन डॉलर हो गया है. यह इस अवधि के लिए देश के व्यापारिक निर्यात में 1.9 फीसदी की वृद्धि से ज्यादा है.
आयात में अंतर बढ़ा
दूसरी तरफ आयात में अंतर और भी ज्यादा है. अप्रैल-दिसंबर 2024 के दौरान भारत का कुल माल आयात अप्रैल-दिसंबर 2023 की तुलना में 7.4 प्रतिशत अधिक था, जबकि इसी अवधि के दौरान कृषि उपज के आयात में 18.7 फीसदी की वृद्धि हुई है. यह 24.6 बिलियन डॉलर से बढ़कर 29.3 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया. इस तरह कृषि व्यापार अधिशेष अप्रैल-दिसंबर 2023-24 में 10.6 बिलियन डॉलर से घटकर चालू वित्त वर्ष (अप्रैल-मार्च) के इसी नौ महीनों के लिए 8.2 बिलियन डॉलर हो गया है.
समुद्री निर्यात में कमी
भारत का समुद्री निर्यात मुख्य तौर पर अमेरिका, चीन और यूरोपियन यूनियन को होता है. अमेरिका सबसे बड़ा बाजार होने के कारण, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का टैरिफ ऐलान भारतीय समुद्री खाद्य निर्यात को और नुकसान पहुंचा सकता है. चीनी को भी झटका लगा है. निर्यात साल 2022-23 में 5.8 बिलियन डॉलर से घटकर 2023-24 में 2.8 बिलियन डॉलर रह गया है. चीनी के अलावा गेहूं साल 2021-22 में 2.1 बिलियन डॉलर और 2022-23 में1.5 बिलियन डॉलर था, तब से अब तक करीब जीरो पर आ गया है. गेहूं को घरेलू उपलब्धता और खाद्य मुद्रास्फीति पर चिंताओं के बाद सरकारी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा है.
चावल और मसाले का निर्यात बढ़ा
चावल के निर्यात में उछाल जारी है जिसमें गैर-बासमती चावल भी शामिल है. सफेद चावल पर पूर्ण प्रतिबंध से लेकर उबले हुए अनाज के शिपमेंट पर 20 प्रतिशत शुल्क तक के कई प्रतिबंध धीरे-धीरे हटा दिए गए हैं. टूटे हुए चावल के निर्यात पर प्रतिबंध बना हुआ है. गैर-बासमती शिपमेंट का मूल्य अभी भी साल 2021-22 और 2022-23 के 6.1 और 6.4 बिलियन डॉलर के उच्च स्तर के काफी करीब है.
बासमती चावल के अलावा मसालों, कॉफी और तम्बाकू का निर्यात साल 2024-25 में नए रिकॉर्ड बनाने की तरफ है. ब्राजील में सूखे और वियतनाम में तूफान की गतिविधि ने भारत से कॉफी निर्यात को बढ़ावा दिया है. इसी तरह, ब्राजील और जिम्बाब्वे में फसल विफलताओं ने भारतीय तम्बाकू निर्यातकों को लाभ पहुंचाया है. भारत ने बासमती चावल, मिर्च, पुदीना उत्पाद, जीरा, हल्दी, धनिया, सौंफ ने दुनिया के अग्रणी निर्यातक के रूप में अपनी स्थिति को भी मजबूत किया है.
दालों के आयात में आई गिरावट
घरेलू उत्पादन में वृद्धि के कारण दालों का आयात काफी कमी आई है. साल 2015-16 में 3.9 बिलियन डॉलर और 2016-17 में 4.2 बिलियन डॉलर से घटकर 2022-23 तकऔसतन 1.7 डॉलर रह गया. हालांकि 2023-24 में फसल खराब होने के कारण इसमें उलटफेर हुआ. चालू वित्त वर्ष पहली बार आयात 5 बिलियन डॉलर को पार कर सकता है. खाद्य तेलों में, 2024-25 के दौरान व्यय 2021-22 19 बिलियन डॉलर और 2022-23 20.8 बिलियन डॉलर के बाद सबसे ज्यादा होने की उम्मीद है.
भारत एक शुद्ध कृषि-वस्तु निर्यातक है, जिसके बाहरी शिपमेंट का मूल्य लगातार आयात से ज्यादा है. ट्रेड सरप्लस यानी व्यापार अधिशेष, जो 2013-14 में 27.7 बिलियन डॉलर के शिखर पर था, 2016-17 तक घटकर 8.1 बिलियन डॉलर रह गया. इसके बाद 2020-21 में यह बढ़कर 20.2 बिलियन डॉलर हो गया, जो 2023-24 में घटकर 16 बिलियन डॉलर रह गया. इस वित्तीय वर्ष में इसमें और गिरावट आने की संभावना है.