अगर टमाटर की मिट्टी पुरानी हो गई है तो उसे साफ, नई और भुरभुरी मिट्टी से बदलें ताकि पौधे को पर्याप्त पोषण और ऑक्सीजन मिल सके.

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मिट्टी में अगर फंफूद हो गई है, तो उसमें नीम की खली मिलाएं. ये प्राकृतिक एंटीबायोटिक की तरह काम करती है.

टमाटर के पौधों को कीट और रोग से बचाने के लिए नीम का पानी या छाछ का स्प्रे करें. इससे पौधे लंबे समय तक ताजे बने रहेंगे.

पौधों की जड़ों में हल्दी या दालचीनी पाउडर डालने से न केवल रोग दूर होते हैं बल्कि पौधे की ग्रोथ में तेजी आती है और फल सड़ते नहीं हैं.

वर्मीकंपोस्ट, गोबर और अन्य जैविक खाद से पौधों को पोषण दें. केमिकल फर्टिलाइजर से पौधों की जड़ें जल सकती हैं.

टमाटर के पौधों को ऐसी जगह रखें जहां उन्हें भरपूर धूप और हवा मिले. इससे पत्तियों में नमी नहीं जमेगी और फंगल इंफेक्शन से बचाव होगा.

अधिक या कम पानी टमाटर को नुकसान पहुंचा सकता है. नियमित रूप से लेकिन सीमित मात्रा में सिंचाई करें ताकि जड़ें गलें नहीं.

टमाटर के पौधे में जब फल लगने लगें तो उन्हें लकड़ी या डोरी से सहारा दें ताकि फल जमीन से न लगें और जल्दी सड़ें नहीं.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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