सबसे पहले अच्छे किस्म के करेले के बीज का चुनाव करें, क्योंकि खराब बीज से पौधा कमजोर रहेगा और उपज अच्छी नहीं होगी.

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गमले का आकार मध्यम से बड़ा हो, ताकि पौधे की जड़ें ठीक से फैल सकें और उसे पर्याप्त पोषण व नमी मिल सके. 

मिट्टी भरने के बाद उसे 1-2 बार अच्छे से खुरचें, जिससे उसमें बंद नमी बाहर आ जाए और वह ढीली हो जाए. 

खरपतवार और कीटों से बचाने के लिए मिट्टी को धूप में 2-3 घंटे रख दें. इससे उसमें मौजूद बैक्टीरिया और फंगस खत्म हो जाएंगे.

जैविक खाद जैसे गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट को मिट्टी में अच्छी तरह मिलाएं, ताकि पौधे को जरूरी पोषक तत्व मिल सके.

बीज को मिट्टी में लगभग 3 से 4 इंच गहराई तक बोएं, ताकि वो नमी को ठीक से सोख सके और जल्दी अंकुरित हो सके.

पौधे की समय-समय पर देखभाल करें और गमले से सूखे पत्ते और खरपतवार हटाते रहें, ताकि पौधे को पर्याप्त जगह और पोषण मिलता रहे. 

करीब 60 से 70 दिन में करेला पक कर तैयार हो जाता है, तब आप इसका सेवन कर सकते हैं. समय पर पानी और धूप जरूर दें. 

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