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इसमें क्रूड प्रोटीन, कैल्शियम और रेशा भरपूर होता है जो पशुओं की सेहत और दूध दोनों बढ़ाता है.
इसकी लंबाई 6-10 फीट तक होती है, जिससे इसे स्टोर कर के लंबे समय तक चारे के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.
एक बार लगाने के बाद यह घास बार-बार कटाई के बाद भी तेजी से बढ़ती है, जिससे बार-बार बोने की जरूरत नहीं.
इसमें लगभग 60% पाचन क्षमता होती है, जिससे पशु इसे आसानी से पचाते हैं और दूध उत्पादन पर असर दिखता है.
अगर इसे बरसीम या लोबिया जैसे दलहनी चारे के साथ खिलाया जाए, तो पोषण और भी अधिक बढ़ जाता है.
नेपियर घास में लगभग 16-20% तक सूखा पदार्थ होता है, जिससे यह गर्मी में भी असरदार रहता है.
नियमित रूप से खिलाने पर दुधारू पशुओं में दूध की मात्रा और फैट कंटेंट दोनों में सुधार आता है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.