450 KG वजन और 9-हॉर्सपावर वाला छोटू ट्रैक्टर, जानिए इसके खास फीचर्स

मंत्रालय ने यह भी कहा कि CSIR-CMERI स्थानीय कंपनियों को इस तकनीक का लाइसेंस देने की योजना बना रहा है.

450 KG वजन और 9-हॉर्सपावर वाला छोटू ट्रैक्टर, जानिए इसके खास फीचर्स
Noida | Published: 16 Mar, 2025 | 05:30 PM

अगर आप किसान हैं और कम कीमत में अच्छा प्रदर्शन करने वाला ट्रैक्टर तलाश रहे हैं तो ये खबर आपके लिए है. वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) और केंद्रीय यांत्रिक अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (CMERI) ने मिलकर एक सस्ते, हल्के और इस्तेमाल में आसान ट्रैक्टर को तैयार किया है.

इस ट्रैक्टर को विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के SEED (Science for Equity Empowerment and Development) डिवीजन के सहयोग से तैयार किया गया है. इसका मुख्य मकसद उन छोटे किसानों की मदद करना है, जो आज भी बैलों के सहारे खेती करते हैं. बैलों के चलते किसानों का समय और लागत दोनों अधिक लगते हैं. दूसरी ओर, पारंपरिक ट्रैक्टर काफी महंगे होते हैं और छोटे खेतों के लिए बेहतर साबित नहीं होते हैं.

कुछ घंटों में पूरी होगी खेती

मंत्रालय ने बीते साल दी जानकारी में बताया था कि ट्रैक्टर का उत्पादन जल्द शुरू होगा. सरकार की कोशिश रहेगी कि किसानों को सब्सिडी पर ट्रैक्टर मिले.

ANI की खबर के मुताबिक यह नया ट्रैक्टर किसानों की खेती को तेज और किफायती बना सकता है. जहां बैलों के साथ खेत तैयार करने में कई दिन लगते हैं, वहीं इस ट्रैक्टर की मदद से कुछ ही घंटों में यह काम पूरा किया जा सकता है. इसके साथ ही, किसानों का इसके मैंटेनेंस में आने वाला खर्च भी कम होगा.

इस ट्रैक्टर के बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) सेक्टर में रुचि दिखाई गई है. मंत्रालय ने बताया कि रांची की एक MSME कंपनी ने इसका उत्पादन करने और राज्य सरकार की टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से किसानों को सब्सिडी पर उपलब्ध कराने की योजना बनाई है.

ट्रैक्टर के प्रमुख फीचर्स

-9-हॉर्सपावर का डीजल इंजन

-8 फॉरवर्ड और 2 रिवर्स गियर

-वजन लगभग 450 किलोग्राम

-1200 मिमी का व्हीलबेस

-255 मिमी की ग्राउंड क्लीयरेंस

-1.75 मीटर का टर्निंग रेडियस

मंत्रालय ने यह भी कहा कि CSIR-CMERI स्थानीय कंपनियों को इस तकनीक का लाइसेंस देने की योजना बना रहा है, ताकि इसका बड़े पैमाने पर तैयार किया जा सके और अधिक से अधिक किसानों को इसका लाभ मिले. सरकार इस टेक्नोलॉजी को स्वयं सहायता समूहों (SHGs) के माध्यम से भी बढ़ावा दे रही है, जिससे छोटे किसान खेती को आसान और लाभदायक बना सकें.

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