फार्मर आइडी डाटा चोरी पर कृषि मंत्री भड़के, सुरक्षा मानक समझाए
कृषि मंत्री ने कहा कि फार्मर आईडी के जरिए किसानों को उनकी खेती और फसलों से जुड़ी जानकारी देने वाला आसान दस्तावेज है. इसका भूमि राज्य प्रणाली और किसान की वित्तीय जानकारी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.

किसानों की फार्मर आईडी के डाटा चोरी संबंधी सवाल पर कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि किसानों का डाटा पूरी तरह सुरक्षित है. फार्मर आईडी के जरिए किसानों की लोकेशन, खेती संबंधी जानकारी और फसलों आदि के बारे में सरकार को पता चल पाएगा और किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने में तेजी आ सकेगी. उन्होंने कहा कि किसानों का डाटा जो है ये निजी डाटा है, जब तक किसान डाटा साझा करने के लिए अपनी स्पष्ट सहमति नहीं देता है तब तक इसे साझा नहीं किया जाएगा.
रागदरबारी उपन्यास के पात्र किसान लंगड़ की कहानी सुनाई
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लोकसभा में किसानों के डाटा चोरी और फार्मर आईडी को लेकर स्पष्ट किया कि चोरी की कोई गुंजाइश नहीं है. उन्होंने कहा कि एक बहुत बड़े उपन्यासकार श्रीलाल शुक्ल थे, जिन्होंने रागदरबारी उपन्यास लिखा था, उसमें एक पात्र था किसान लंगड़, वो लंगड़ अपने खेत की नकल प्राप्त करने के लिए तहसील जाता है, एक नहीं अनेक दिनों तक वो एक अधिकारी से पास, फिर दूसरे अधिकारी के पास, एक विभाग के पास, दूसरे विभाग के पास, फिर तीसरे विभाग के पास भटकता रहता है और अंततः उसे नकल नहीं मिलती. उस लंगड़ की तकलीफ को कभी सामने वालों ने नहीं समझा. इस तकलीफ को हमारे विजनरी प्रधानमंत्री ने समझा और डिजिटल कृषि मिशन बनाकर किसान की सारी दिक्कतें समाप्त करने का फैसला किया.
फार्मर आईडी से योजनाओं का लाभ जल्दी मिलेगा
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि देश के किसानों को किसान पहचान पत्र के रूप में बहुत उपयोगी सौगात दी है. पहला आधार कार्ड के जरिए पहचान का प्रमाण मिलता है. जबकि, फार्मर आईडी के जरिए किसानों को उनकी खेती और फसलों से जुड़ी जानकारी देने वाला आसान दस्तावेज है. इसका भूमि राज्य प्रणाली और किसान की वित्तीय जानकारी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. फार्मर आईडी का उपयोग किसानों को योजनाओं का लाभ देने के लिए किया जाएगा.
एग्रीस्टैक के पास किसानों का डाटा गोपनीय
डिजिटल धोखाधड़ी और किसानों के डाटा के दुरुपयोग को रोकने के लिए सरकार द्वारा अनेक उपाय किए गए हैं. एग्रीस्टैक किसानों की जानकारी गोपनीय तरीके से रखता है. टोकन आधारित प्रमाणीकरण से डाटा सुरक्षित किया गया है. उन्होंने कहा कि किसानों के डाटा का उपयोग योजनाओं का लाभ देने में किसानों को मदद मिलेगी. पहले किसान कागज इकट्ठा करने के लिए पहले भटकता था अब ऐसा नहीं होगा. डाटा के दुरुपयोग को रोकने के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. किसानों का डाटा जो है ये निजी डाटा है, जब तक किसान डाटा साझा करने के लिए अपनी स्पष्ट सहमति नहीं देता है तब तक इसे साझा नहीं किया जाएगा.
किसान मोबाइल या वेब ऐप से कर सकते हैं शिकायत
कृषि मंत्री ने कहा कि किसान रजिस्ट्री के दौरान कुछ समस्याएं आती हैं, तो उनके समाधान के लिए शिकायत निवारण तंत्र कार्य करता है. जिसमें किसान मोबाइल या वेब एप्लिकेशन का उपयोग कर शिकायत दर्ज कर सकते हैं. किसान रजिस्ट्री को राज्य में राजस्व रिकार्ड से जोड़ा गया है जिससे तत्काल अपडेट हो सके, ताकि जमीन की वास्तविक स्थिति की जानकारी रहे. किसी किसान ने अपनी जमीन बेच दी किसी और को तो तत्काल किसान रजिस्ट्री में अपडेट हो जाएगा कि, ये जमीन शिवराज के नाम नहीं, गिरिराज के नाम है.
एक पीएम थे जो कहते थे 1 रुपया भेजता हूं तो 15 पैसे पहुंचता है
उन्होंने कहा कि डिजिटल क्रांति से सेवाओं में और योजनाओं का लाभ देने में क्रांतिकारी परिवर्तन किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने आजादी के वर्षों बाद तक देश में शासन किया, लेकिन कभी किसानों की तकलीफ को नहीं समझा. एक प्रधानमंत्री थे, जो कहते थे कि 1 रुपए भेजता हूं तो केवल 15 पैसे पहुंचता है, लेकिन आज हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार के भागलपुर में एक बटन दबाते हैं तो 9 करोड़ 80 लाख किसानों के खाते में सीधा पैसा पहुंच जाता है. किसान सामने मोबाइल दिखाकर कहता है पैसा खाते में आ गया, ये डिजिटल क्रांति के कारण संभव हुआ है.