कम जगह में अपनाएं खेती की ये तकनीक, ज्यादा उपज के साथ बढ़ेगा मुनाफा

आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग शहरों में रहते हुए भी प्रकृति से जुड़े रहना चाहते हैं. लेकिन, शहरों में जगह की कमी के चलते यह संभव नहीं हो पाता है. ऐसे में वर्टिकल गार्डेनिंग एक बेहतरीन ऑप्शन साबित हो सकता है.

कम जगह में अपनाएं खेती की ये तकनीक, ज्यादा उपज के साथ बढ़ेगा मुनाफा
Noida | Updated On: 7 Apr, 2025 | 02:38 PM
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वर्टिकल गार्डेनिंग एक ऐसी तकनीक है, जिससे आप सीमित जगह में भी आसानी से कर सकते है. यदि आप भी अपने घर के छोटे से स्थान को हरा-भरा बनाना चाहते हैं, तो यह तरीका आपके लिए बेस्ट ऑप्शन हो सकता है. तो आइए जानते हैं कि घर पर वर्टिकल गार्डेनिंग कैसे की जा सकती है.

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इसका मतलब है पौधों को ऊपर की दिशा में उगाना, यानी आप पौधों को जमीन पर लगाने के बजाय दीवारों, रेलिंग्स, खिड़कियों और अन्य ऊंची जगहों का उपयोग कर सकते हैं. इस तरीके से आप छोटी जगहों पर भी बड़े-बड़े पौधे उगा सकते हैं. यह बागवानी का एक बहुत ही किफायती और आकर्षक तरीका है.

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वर्टिकल गार्डनिंग के लिए गमले, ट्रे, प्लास्टिक की बोतलें, लकड़ी के बक्से, या फिर जाली का इस्तेमाल आप दीवारों या खिड़कियों पर लताओं को चढ़ने के लिए कर सकते हैं सकते हैं. प्लास्टिक की बोतलें या पुराने बक्से भी अच्छे विकल्प हैं, जिनमें मिट्टी भरकर पौधे लगाए जा सकते हैं.

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पौधों को सपोर्ट देने के लिए बांस के खंभे, लोहे के तार, या स्टील की जाली का इस्तेमाल कर सकते हैं, ताकि पौधे ऊपर चढ़ सकें. आप चाहे तो अपने वर्टिकल गार्डरनिंग में टमाटर, भिंडी, खीरा, पोल बींस, मालाबार पलक, बैंगन और मटर जैसे सब्जियां उगा सकते हैं.

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इसके साथ ही वर्टिकल गार्डनिंग के लिए पौधों और मिट्टी के अच्छे गुणवत्ता का चुनाव करना बेहद जरूरी है. इसलिए खासतौर वर्टिकल गार्डेनिंग में हल्की मिट्टी का चुनाव करें, ताकि पौधों की जड़ें आसानी से फैल सकें. साथ ही, मिट्टी में अच्छे पोषक तत्व भी होने चाहिए.

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वहीं, वर्टिकल गार्डनिंग में पौधों को पर्याप्त धूप की आवश्यकता होती है, इसलिए इसे ऐसी जगह पर लगाएं जहां 6-7 घंटे सूरज की रोशनी आती हो. इसके अलावा इन पौधों को ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन फिर भी उन्हें नियमित रूप से पानी देना जरूरी है.

Published: 7 Apr, 2025 | 01:43 PM

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