हल्दी की ये 5 किस्में देती हैं सबसे ज्यादा फायदा, जानें इनके बारे में
मसाला फसलों में हल्दी का अपना एक महत्वपूर्ण स्थान है. इसका प्रयोग हर घर में खाना बनाने में किया जाता है. साथ ही इसके औषधीय गुणों की वजह से इसे कई तरह के कॉस्मेटिक्स बनाने में भी प्रयोग किया जाता है.

विशेषज्ञ अक्सर किसानों को उनकी आय बढ़ाने के लिए नकदी फसलों की खेती की ओर ध्यान देना चाहिए. नकदी फसलें यानी ऐसी फसलें जिनकी बाजार में बहुत ज्यादा मांग रहती है. इससे किसानों को अच्छी कीमतें भी मिलती हैं. हल्दी को इसी तरह की एक नकदी फसल माना जाता है. हल्दी को हिंदू धर्म बहुत पवित्र माना गया है और हर मांगलिक कार्य में इसका प्रयोग होता है. इसकी 5 ऐसी किस्में जिनकी खेती किसानों को मालामाल कर सकती है.
हल्दी की सिम पीतांबर किस्म की खेती किसानों को ज्यादा फायदा देने वाली किस्म हो सकती है. इस किस्म को केंद्रीय औषधीय एवं सगंध अनुसंधान संस्थान (सीमैप) की तरफ से डेवलप किया गया है. इस किस्म से प्रति हेक्टेयर खेती से करीब 65 टन हल्दी कंद का उत्पादन किया जा सकता है. यह किस्म सात से नौ महीने में तैयार हो जाती है.
हल्दी की सुंगधम किस्म के कंद आकार में लंबे और हल्के लाल और पीले रंग के होते हैं. यह किस्म 210 दिन में पककर तैयार हो जाती है. अगर पैदावार की बात की जाए तो इस किस्म से किसान प्रति एकड़ 80 से लेकर 90 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं.
हल्दी की सोरमा किस्म के करीब 210 दिन में तैयार हो जाती है. इस किस्म से प्रति एकड़ 80 से 90 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है.
हल्दी की सुदर्शन किस्म के कंद आकार में छोटे होते हैं और सुंदर दिखाई देते हैं. इस किस्म को तैयार होने में 190 दिन का समय लगता है और इस किस्म से प्रति एकड़ 110 से लेकर 115 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है.
आरएच 5 किस्म हल्दी की इस किस्म के पौधों की ऊंचाई 80 से 100 सेंटीमीटर होती है. यह किस्म करीब 210 से लेकर 220 दिन में तैयार हो जाती है. इसकी पैदावार की बात करें तो इस किस्म से प्रति एकड़ 200 से लेकर 220 क्विंटल तक उत्पादन हासिल किया जा सकता है.