ईरान से आए अनार से भारत में किसानों की बल्ले-बल्ले!
अनार, न केवल स्वास्थ्य के लिए अच्छा है बल्कि ये खेती में भी फायदेमंद साबित होता है. सही खेती टेक्निक के साथ अगर किसान इसकी खेती करें तो काफी फायदा कमा सकते हैं.

अनार की प्रभावी खेती सुनिश्चित करने के लिए मिट्टी की तैयारी, सही रोपण विधि, सिंचाई योजना, उर्वरक और बाकी महत्वपूर्ण बातों पर भी ध्यान देने की जरूरत होती है.
अनार की उत्पत्ति ईरान में हुई थी लेकिन वहां की गर्मी, शुष्क मौसम और नमी की कमी को सहन करने की क्षमता के कारण यह भारत के अर्ध-शुष्क और शुष्क क्षेत्रों में खूब पनपता है. विटामिन, मिनिरल्स और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर इस फल में काफी ज्यादा पोषक तत्व होते हैं.
अनार अपने औषधीय गुणों के लिए भी बेशकीमती है. साथ ही इसका उपयोग चमड़ा उद्योग और रंगाई उद्योगों में किया जाता है. भारत दुनिया का सातवां सबसे बड़ा अनार उत्पादक देश है. भारत दुनिया का इकलौता ऐसा देश है जो पूरे साल जनवरी से दिसंबर तक, अनार की खेती करने की क्षमता रखता है.
महाराष्ट्र देश की कुल अनार उपज का 50 फीसदी से ज्यादा उत्पादन करता है. इसके बाद गुजरात, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश का स्थान है.
पिछले एक दशक में भारत में अनार की खेती में तेजी आई है. कम रखरखाव के अलावा उच्च उपज, अंतरराष्ट्रीय मांग, स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद, जलवायु परिवर्तन और फसल विविधीकरण की वजह से किसान अनार जैसी बाकी फसलों के साथ विविधता ला रहे हैं.
एक एकड़ अनार का बाग लगाने की लागत करीब 1.75 लाख रुपये है. शुरुआती वर्षों में उपज कम होती है लेकिन 5वें वर्ष के बाद यह तेजी से बढ़ती है. 5वें वर्ष में प्रति एकड़ रिटर्न 60,000 रुपये है, जो 8वें साल में बढ़कर 1.05 लाख रुपये हो जाता है. अंतर-फसल से आय समेत 8वें वर्ष में कुल लाभ 68,800 रुपये तक हो सकता है.