हरे एलोवेरा की ही तरह अब लाल एलोवेरा की खेती में किसान रुचि दिखाने लगे हैं. हरे की तरह ही लाल ऐलोवेरा भी कई तरह की दवाईयों और ब्यूटी कॉस्मेटिक्स में प्रयोग होता है. इसकी खेती किसानों के लिए अब फायदे का सौदा बनती जा रही है. जानें इसके बारे में सबकुछ.
लाल एलोवेरा की खेती भारत के कई हिस्सों में की जाती है, जिसमें राजस्थान, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और महाराष्ट्र शामिल हैं. लाल ऐलोवेरा को एक फायदेमंद फसल माना जाता है क्योंकि इसे कई तरह की मिट्टी और जलवायु में उगाया जा सकता है.वहीं हरे से अलग लाल एलोवेरा का दाम भी बाजार में काफी ज्यादा है.
इसकी खेती से प्रति एकड़ 8,000 रुपये से लेकर 40,000 रुपये तक फायदा कमाया जा सकता है. इसकी फसल से होने वाला फायदा काफी हद तक मिट्टी पर भी निर्भर करता है. लाल एलोवेरा की खेती कम बारिश वाली जगहों पर काफी अच्छी होती है. इसकी खेती के लिए ज्यादा पानी कर जरूरत भी नहीं होती है.
लाल एलोवेरा के खेत को अच्छी तरह से जुताई करके समतल कर लेना चाहिए और मिट्टी में जैविक खाद डालनी चाहिए. साथ ही खेती में गोबर की खाद का इस्तेमाल जरूर करें. बुवाई के बाद लाल एलोवेरा की फसल करीब 8 से 9 महीने में तैयार हो जाती है.
वहीं लाल एलोवेरा के खेतों में उर्वरकों या कीटनाशकों की भी जरूरत नहीं होती है. एलोवेरा की कटाई साल में दो बार की जा सकती है. ऐसे में फायदा भी दोगुना हासिल होता है. एक एकड़ में लाल एलोवेरा की खेती करने से करीब 20-25 टन तक पैदावार मिल सकती है. ऐसे में किसान इसकी खेती से 3 से 4 लाख रुपये की कमाई आसानी से कर सकते हैं.