ऐसे करें खरबूजे की खेती, जानें खास बातें

खरबूजा, भारत की महत्वपूर्ण सब्जी फसल है. खरबूजा ईरान, अनातोलिया और आर्मेनिया से आया है. खरबूजा विटामिन ए और विटामिन सी का रिच सोर्स है. इसमें करीब 90 फीसदी पानी और 9 फीसदी कार्बोहाइड्रेट होता है. भारत में खरबूजा उगाने वाले राज्यों में पंजाब, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, महाराष्‍ट्र और आंध्र प्रदेश शामिल हैं.

ऐसे करें खरबूजे की खेती, जानें खास बातें
New Delhi | Updated On: 28 Feb, 2025 | 05:25 PM
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खरबूजा, गहरी उपजाऊ और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में अच्छी तरह से बढ़ता है. अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी में उगाने पर यह सबसे अच्छे नतीजे देता है. खराब जल निकासी क्षमता वाली मिट्टी खरबूजे की खेती के लिए सही नहीं है.

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फसल चक्र अपनाएं क्योंकि एक ही खेत में लगातार एक ही फसल उगाने से पोषक तत्वों की हानि होती है, उपज कम होती है और बीमारियों का ज्‍यादा हमला होता है. इसकी खेती के लिए मिट्टी का pH 6-7 के बीच होना चाहिए. ऐसी मिट्टी जिसमें नमक तत्‍व ज्‍यादा हो, वह मिट्टी इसकी खेती के लिए सही नहीं है.

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खेत को जोतकर अच्छी तरह से भुरभुरा बना लें. उत्‍तर भारत में बुवाई फरवरी के मध्य में की जाती है. उत्तर पूर्व और पश्चिम भारत में बुवाई नवंबर से जनवरी के दौरान की जाती है.

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फरवरी का मध्य खरबूजे की खेती के लिए सबसे अच्छा समय है. किस्म के अनुसार 3-4 मीटर चौड़ी क्यारियां तैयार करें. क्यारी पर एक टीले पर दो बीज बोएं और टीलों के बीच 60 सेमी की दूरी रखें.

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जनवरी के आखिरी सप्ताह या फरवरी के पहले सप्ताह में 100 गेज की मोटाई वाले 15 सेमी x 12 सेमी आकार के पॉलीथीन बैग में बीज बोएं. पॉलीथीन बैग में अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर और मिट्टी को बराबर मात्रा में भरें. फरवरी के अंत या मार्च के पहले सप्ताह तक पौधे रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं. रोपाई 25-30 दिन पुरानी पौध के लिए की जाती है. रोपाई के तुरंत बाद सिंचाई करें.

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शुरुआती चरण में क्‍यारियों को खरपतवार फ्री रखें. उचित नियंत्रण उपायों के अभाव में, खरपतवार 30 फीसदी तक उपज का नुकसान पहुंचा सकते हैं. बुवाई के 15-20 दिन बाद अंतर-संस्कृति गतिविधि को पूरा करें. खरपतवारों की गंभीरता और तीव्रता के आधार पर, दो से तीन निराई की आवश्यकता होती है.

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गर्मी के मौसम में हर हफ्ते सिंचाई करें. पकने के समय सिंचाई तभी करें जब हजरूरत हो. खरबूजे के खेत में ज्‍यादा पानी भरने से बचें. सिंचाई के दौरान, बेलों को गीला न करें, खासकर फूल आने और फल लगने के दौरान. भारी मिट्टी में बार-बार सिंचाई करने से बचें. बेहतर मिठास और स्वाद के लिए, कटाई से 3-6 दिन पहले सिंचाई बंद कर दें या पानी देना कम कर दें.

Published: 27 Feb, 2025 | 06:13 PM

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