30 हजार रुपये में शुरू कर सकते हैं मोती की खेती, जानें इसके फायदे
आजकल किसान पारंपरिक तरीका छोड़ तकनीकी खेती को अपना रहे हैं. कई नौकरी पेशा लोग भी ज्यादा कमाई के लिए मोती की खेती को व्यवसाय के रूप में अपना रहे हैं. बाजार में मोती की अच्छी डिमांड के चलते इसकी खेती में लोगों की दिलचस्पी बढ़ी है.

मोती को पहले तालाब और समुद्र से प्राप्त किया जाता था लेकिन किसान अब इसकी खेती मात्र 25-30 हजार रुपये में कर सकते हैं. इसके लिए सरकार की तरफ से 50 प्रतिशत सब्सिडी भी दी जा रही है.
पर्ल फार्मिंग एक ऐसा व्यवसाय है, जो कम लागत में अच्छी आमदनी दे सकता है. इसकी खास बात यह है कि इसे छोटे पैमाने पर भी आसानी से किया जा सकता है. इसी कड़ी में जानते है इसके खेती के तरीके.
इसकी खेती के लिए सबसे पहले सही सीपों का चुनाव करना जरूरी होता है. दक्षिण भारत और बिहार के दरभंगा जिले में सीपों की काफी अच्छी क्वालिटी पाई जाती है.
इन सभी सीपों को जालों में डालकर 10-15 दिनों के लिए किसी पोखर में डाल दें ताकी वह अपने अनुसार एनवायरमेंट बना सकें.
कुछ दिनों के बाद इन्हें बाहर निकाल कर सर्जरी के माध्यम से न्यूक्लियस यानी रेत का छोटा सा कण डाल कर 12-15 महीनों के लिए पानी में छोड़ दें.
आगे चल कर यह न्यूक्लियस मोती का आकार लें लेते हैं. तो वहीं एक बेहतरीन मोती को तैयार होने में 1- 2 साल का समय लग सकता है. इसके बाद शेल को तोड़कर मोती निकाल लिया जाता है.
मोती की खेती से किसानों को काफी अच्छा मुनाफा हो सकता है. अन्य फसलों के मुकाबले मोती की खेती से किसानों को नियमित और स्थिर आय स्रोत मिलता है. यह बाजार में अच्छी कीमत पर बिकते हैं.