धान की पत्तियां बदल रही हैं रंग? जानिए कारण और तुरंत करें ये उपाय
अगर इस बीमारी को शुरुआत में ही नहीं रोका गया, तो यह पूरी फसल को नुकसान पहुंचा सकती है और पैदावार बहुत कम हो जाती है.

धान (Paddy) हमारे देश की एक बहुत ही जरूरी फसल है. यह करोड़ों लोगों का मुख्य आहार है और लाखों किसान इसकी खेती से अपनी रोजी-रोटी कमाते हैं. लेकिन धान की खेती आसान नहीं है. किसानों को कई तरह की बीमारियों और समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इन्हीं में से एक आम बीमारी है,धान के पत्तों का सफेद या पीला पड़ना.
अगर इस बीमारी को शुरुआत में ही नहीं रोका गया, तो यह पूरी फसल को नुकसान पहुंचा सकती है और पैदावार बहुत कम हो जाती है. तो आइए जानते हैं यह बीमारी क्या है और इसे कैसे कंट्रोल किया जा सकता है.
यह बीमारी क्यों होती है?
धान की सफेद/पीली पत्ती की बीमारी एक फफूंद (Fungus) के कारण होती है, जिसका नाम है Pyricularia oryzae. इस बीमारी में पत्तों पर पहले छोटे-छोटे सफेद या पीले धब्बे बनने लगते हैं. धीरे-धीरे ये धब्बे बड़े हो जाते हैं और आपस में मिल भी सकते हैं. अगर समय पर इलाज न किया जाए, तो पत्ते सूखने लगते हैं और पौधा कमजोर होकर मर भी सकता है.
इस बीमारी से बचाव और नियंत्रण के आसान तरीके
1. रोग-रोधी किस्मों की बुवाई करें
ऐसी धान की किस्में लगाएं जो इस बीमारी के प्रति मजबूत हों. अगर ये पौधे बीमार भी हों, तो असर कम होता है और पैदावार पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ता.
2. फसल चक्र अपनाएं
हर बार एक ही खेत में बार-बार धान न बोएं. इससे मिट्टी में फफूंद पनपने लगता है. इसकी जगह फसल बदल-बदल कर बोएं, जैसे एक बार धान, फिर दाल या गेहूं. इससे बीमारी का चक्र टूटता है.
3. फफूंदनाशक दवा का इस्तेमाल करें
जब भी पत्तों पर बीमारी के शुरुआती लक्षण दिखें, तुरंत फफूंदनाशक दवा का छिड़काव करें. दवा छिड़कते समय लेबल पर दी गई मात्रा और सावधानियों का पूरा पालन करें.
4. सही सिंचाई व्यवस्था रखें
अगर खेत में पानी ज्यादा भर जाता है या लंबे समय तक रुका रहता है, तो फफूंद को बढ़ने में मदद मिलती है. इसलिए खेत में पानी की निकासी का ध्यान रखें और ज्यादा न सिंचाएं.
5. निराई-गुड़ाई और खरपतवार नियंत्रण करें
खरपतवार (जंगली घास) भी बीमारी फैलाने में मदद कर सकती है. इसलिए समय-समय पर खेत की सफाई करें और खरपतवार को हटाते रहें.