यूपी समेत कई राज्यों में आग का कहर..खेतों में धधकती आग में जले किसानों के सपने, मुआवजे पर ठनी
पिछले कुछ दिनों में उत्तर भारत के अलग- अलग जगहों पर आग का तांडव देखने को मिला है. इस आग की कहर का प्रकोप लखनऊ से लुधियाना, सिरसा से ग्वालियर तक देखने को मिला है. आग के इस प्रकोप से गेहूं की फसलें राख हो गई हैं. किसान बेबस हो कर अब सरकार की राह देख रहे हैं.

पिछले कई दिनों से उत्तर भारत के खेतों में आग ही आग है. खेत जल रहे हैं, फसल राख हो रही है, किसान रो रहे हैं. लेकिन इस तबाही की तस्वीरों में न सरकार दिख रही है, न राहत. दिख रहे हैं तो सिर्फ खेतों में दौड़ते किसान, बाल्टी में पानी भरती औरतें और राख में उम्मीद टटोलते बच्चे. बीते कुछ सप्ताह के दौरान अलग-अलग दिनों में लखनऊ से लेकर लुधियाना, नरसिंहपुर से लेकर ग्वालियर और सिरसा से लेकर सिद्धार्थनगर तक, आग ने गेहूं की फसल को निगल लिया है. किसानों की साल भर की मेहनत चिंगारी की एक फूंकार में स्वाहा हो गई. नुकसान की भरपाई को लेकर किसान संगठनों और राज्य सरकार के बीच मुआवजे को लेकर ठन गई है.
जल गया साल भर का सपना
लखनऊ, बरेली, हरदोई, कानपुर देहात और सिद्धार्थनगर जैसे जिलों में या तो बारिश ने कहर ढाया या आग ने. सिद्धार्थनगर के सिरसिया राजा गांव में खेतों में लगी आग ने 300 बीघा फसल को खाक कर दिया. कोई ट्रैक्टर लेकर दौड़ा, कोई बाल्टी लेकर. लेकिन आग के सामने सब लाचार. इसके अलावा कानपुर देहात के औडेरी, पातरी और डोरापुर गांवों में करीब 300 बीघा गेहूं जलकर खाक हो गया. टिकवापुर में 14 किसानों की 50 बीघा फसल जल कर स्वाहा हो गई. कई किसान वहीं खेत में बैठकर बिलखते रहे. सरकारी राहत की कोई गारंटी नहीं.
राष्ट्रीय किसान मंच ने सरकार को दी चेतावनी
राष्ट्रीय किसान मंच ने इस आपदा पर गहरी चिंता जताई है. राष्ट्रीय किसान मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष शेखर दीक्षित ने सरकार को दो-टूक चेतावनी दी है. उनका कहना है कि किसान पहले ही बारिश से टूट चुके थे, अब आगजनी ने उनकी कमर तोड़ दी. सरकार तुरंत मुआवजा दे, वरना उनके कार्यकर्ता सड़कों पर उतरने को मजबूर होंगे. वहीं राष्ट्रीय किसान मंच ने मुख्यमंत्री और राहत आयुक्त को पत्र लिखकर तत्काल राहत कार्य और पारदर्शी मुआवजा वितरण की मांग की है. दीक्षित ने साफ कहा कि राहत राशि फाइलों में नहीं, किसानों के खातों में पहुंचनी चाहिए.
मध्य प्रदेश में मंडियों से लेकर खेतों तक धधकती रही आग
पिछले कुछ दिनों में देखा जाए तो मध्य प्रदेश के कई जिलों में आग ने किसानों और व्यापारियों पर कहर बरपाया है. नर्मदापुरम के पिपरिया में सब्जी मंडी में आग लगी, लाखों की सब्जियां जल गईं और व्यापारी देखते रह गए. फायर ब्रिगेड पहुंची तो सही, मगर तब तक आग ने अपना काम कर लिया था. सब कुछ जलकर खाक हो गया, फायर ब्रिगेड वापस लौट गई. इतना ही नहीं ग्वालियर, पिछोर हर जगह नुकसान ही नुकसान. वहीं आग के कहर से वीरमढाना और खेरिया गांव में 150 बीघा फसल खाक हो गई. इसके अलावा नरसिंहपुर जिले के तेंदूखेड़ा में दुलीचंद कुशवाहा का एक एकड़ फसल आग की भेंट चढ़ी. किसान रोते रहे, मेहनत राख हुई. सवाल यह है, सरकार मुआवजा कब देगी?
हरियाणा और पंजाब में भी जली फसलें
हरियाणा और पंजाब के किसानों पर आग ने दोहरी मार डाली है. बता दें कि सिरसा के लुदेसर गांव में लगी आग ने 700 एकड़ फसल को निगल लिया. खेत, भूसा, यहां तक कि आग बुझाने गया ट्रैक्टर भी राख हो गया. इसके अलावा कंवरपुरा में कटाई के दौरान बिजली के तारों की चिंगारी से कम्बाइन मशीन में आग लगी, जिसमें एक किसान की मौत हो गई. गुस्साए किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया. मगर हुआ कुछ नहीं,मिला कुछ तो वो थी निराशा. इसके अतिरिक्त मोरीवाला, रसूलपुर, भंगू, साहुवाला में भी आगजनी ने खूब कहर बरपाया. इतना ही नहीं आग ने न सिर्फ फसल और आदमी को अपने चपेट में नहीं लिया यहां तक की कुरुक्षेत्र में एक भैंस और उसका बच्चा मर गया और कई पशु झुलस गए.
वहीं पंजाब में भी आगजनी ने भारी तबाही मचाई है. गुरदासपुर के कलानौर में 400 एकड़ गेहूं की फसल जलकर राख हो गई. इसके अतिरिक्त मुक्तसर साहिब में 75 एकड़ गेहूं और 25 एकड़ नाड़ की फसल आग की भेंट चढ़ गई. कपूरथला में 200 एकड़ फसल नष्ट हुई, जबकि पठानकोट के लदपालवां टोल प्लाजा के पास कई एकड़ खड़ी फसल आग की चपेट में आई. गुरदासपुर में एक कोल्ड ड्रिंक गोदाम में लगी आग से लाखों रुपये का नुकसान हुआ.
क्यों लगती है इतनी आग?
भारतीय किसान एकता के प्रदेश अध्यक्ष लखविंदर सिंह औलख बताते हैं कि खेतों के ऊपर जर्जर हाईटेंशन बिजली तार और पुराने ट्रांसफॉर्मर खतरे की जड़ हैं. गर्मी में तापमान बढ़ने पर इन तारों में शॉर्ट सर्किट से चिंगारी निकलती है, जो पकी गेहूं की फसल में आग लगा देती है. औलख बताते हैं कि पकी फसल बारूद की तरह है, जरा सी चिंगारी से सब राख हो जाता है. कुछ मामलों में मानवीय लापरवाही भी आग का कारण बनी. बिजली निगम की लापरवाही को मुख्य जिम्मेदार ठहराते हुए उन्होंने सीएम नायब सैनी से मांग की कि बर्बाद फसलों का मुआवजा तुरंत दिया जाए, ताकि किसान खरीफ की बुवाई कर सकें.
ये महज एक खबर नहीं है. ये उस किसान की टूटती हुई जिंदगी की दास्तान है, जो साल भर खेत में पसीना बहाता है और फसल के साथ उसका सपना भी राख हो जाता है. सियासत की चकाचौंध में यह राख शायद दिखती नहीं, लेकिन गांवों की मिट्टी आज सचमुच जल रही है. सवाल उठाना जरूरी है क्योंकि अगर खेत जलते रहे तो एक दिन हमारी रोटी भी राख हो जाएगी.