कर्नाटक के किसानों को नहीं मिल रहे खेती के लिए मजदूर, अब मशीनों का ले रहे सहारा
किसानों की मशीनों की जरूरतों में से करीब 50% की पूर्ति सरकार की सब्सिडी योजनाओं से हो रही है, जबकि बाकी 50% मशीनें किसान बाजार से ले रहे हैं.

पूरे देश की तरह कर्नाटक में भी खेती के लिए मजदूरों की कमी एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है. इसी के चलते अब राज्य के किसान खेतों में मशीनों का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा रहे हैं. बीते पांच सालों में राज्यभर में सरकार की योजनाओं के तहत 7.5 लाख से ज्यादा कृषि उपकरण बेचे जा चुके हैं.
काम आसान कर रही मशीनेंरिपोर्ट्स के मुताबिक कर्नाटक के किसानों का कहना है कि मशीनें न सिर्फ मेहनत कम करती हैं, बल्कि समय और लागत दोनों की बचत होती है. मिट्टी तैयार करने से लेकर फसल की कटाई तक, हर काम के लिए अब अलग-अलग मशीनें उपलब्ध हैं जैसे रोटावेटर, पावर वीडर, बेलर और कंबाइन हार्वेस्टर. बस इन मशीनों को चलाने के लिए ट्रैक्टर की जरूरत होती है.
सरकारी योजनाएं बनी मददगार
किसानों की मशीनों की जरूरतों में से करीब 50% की पूर्ति सरकार की सब्सिडी योजनाओं से हो रही है, जबकि बाकी 50% मशीनें किसान बाजार से ले रहे हैं.
बेलगावी जिले के सावदत्ती तालुक के किसान प्रवीण बेटासुरु ने बताया कि वे पिछले दस सालों से रोटावेटर का इस्तेमाल कर रहे हैं और पिछले चार सालों से हार्वेस्टर किराए पर लेते हैं. “मशीन से काम सस्ता और जल्दी होता है,” वे कहते हैं. हालांकि, उनकी रोटावेटर मशीन खराब हो गई है और नई खरीदने के लिए उन्होंने सरकारी सब्सिडी के लिए आवेदन किया है, जिसकी मंजूरी का अब तक इंतजार है. एक रोटावेटर सब्सिडी के बाद भी करीब 1 लाख रुपये का पड़ता है.
नई योजनाएं और सब्सिडी
हाल में राज्य सरकार के कृषि विभाग के निदेशक जी. टी. पुथ्रा ने मीडिया से हुई बातचीत में बताया कि हाई-टेक हार्वेस्टर हब योजना के तहत अब तक 344 हार्वेस्टर हब किसानों को उपलब्ध कराए गए हैं, जिस पर 130 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. इस योजना में सरकार किसानों या किसान उत्पादक संगठनों को मशीन खरीदने के लिए 50% तक की सब्सिडी देती है (अधिकतम 1 करोड़ रुपये तक). ये संगठन आगे चलकर अन्य किसानों को मशीनें किराए पर देते हैं.
जिन फसलों में सबसे ज्यादा मशीनों का इस्तेमाल
- मक्का
- धान
- गन्ना
- रागी (नाचनी)
- तुअर (अरहर)
कौन से कामों को आसान बना रहीं मशीनें
वैसे तो मशीनों ने खेती को काफी हद तक आसान बना दिया है, लेकिन जमीन की तैयारी, बीज बोना, छिड़काव, कटाई और मड़ाई जैसे काम अब बेहद जल्दी होने लगे हैं.
कर्नाटक में खेती में मशीनों का बढ़ता उपयोग किसानों को न सिर्फ राहत दे रहा है, बल्कि उत्पादकता भी बढ़ा रहा है. खासकर छोटे और मध्यम किसान अब मशीनें किराए पर लेकर भी खेती को आसान बना रहे हैं.