140 दिन में 25 क्विंटल उपज से चर्चा में आई ये सरसों किस्म, जान लें बुवाई का तरीका

ICAR ने पूसा सरसों 24 नाम की एक नई सरसों की किस्म विकसित की है, जिसमें एरूसिक एसिड कम और तेल रिकवरी अधिक होती है.

140 दिन में 25 क्विंटल उपज से चर्चा में आई ये सरसों किस्म, जान लें बुवाई का तरीका
नोएडा | Updated On: 9 Apr, 2025 | 07:46 PM

अक्सर किसान फसलों को लेकर काफी चिंतित रहते है की कब कौन सी फसल कम लागत में अधिक मुनाफा दे सकती है. इसी समस्या को हल करते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) और पूसा के माध्यम से सरसों की नए किस्म पूसा सरसों 24 (LET-18) को विकसित किया गया है. यह किस्म खासतौर पर राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर के मैदानी इलाकों और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए उपयुक्त बताया गया है.

कम एरूसिक एसिड, ज्यादा मुनाफा

पूसा सरसों 24 किस्म की सबसे खास बात यह है कि इसमें एरूसिक एसिड की मात्रा 2 फीसदी से कम होती है, जिसे यह आम सरसों की किस्मों की तुलना में ज्यादा हेल्दी और सुरक्षित होती है. आजकल बाजार में लो एरूसिक एसिड वाले तेलों की मांग अधिक बढ़ रही है जिसे तेल उत्पादक इस किसम के सरसों का उत्पादन कर अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं.

एक हेक्टेयर में 25 क्विंटल उपज

पूसा सरसों 24 छोटे बीजों वाली किस्म है, जिसके 1000 दानों का वजन लगभग 4 ग्राम होता है और इसकी औसतन उपज 20.25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की होती है, जिसे किसान इसकी उपज को अच्छे मैनेजमेंट के साथ और भी अधिक बढ़ा सकते हैं. वहीं, सरसों की इस किस्म के बीजों से लगभग 36.55 प्रतिशत तेल निकाल जा सकता है. यह प्रतिशत सरसों की दूसरी किस्मों की तुलना में अच्छी मानी गई है. किसान सरसों की इस किस्म से इसके दाने और तेल दोनों से मुनाफा कम सकते हैं. इसके अलावा यह मात्र 140 दिनों में तैयार हो जाती है. जिसे किसानों को अगली फसल की तैयारी के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है.

क्यों चुनें पूसा सरसों 24 किस्म

– कम एरूसिक एसिड जो स्वास्थ्य के लिए है बेहतर
– अच्छी पैदावार और ज्यादा तेल
– छोटे बीज लेकिन ज्यादा मुनाफा
– 140 दिनों में फसल तैयार

सरसों की खेती में रखें इन बातों का ध्यान

सरसों की खेती में अच्छी पैदावार के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है जैसे कि खेत की तैयारी, बीज की गुणवत्ता, बुवाई का समय, सिंचाई, खाद और कीट नियंत्रण. बात करें सरसों की खेती कि, तो इसके लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है. इसके साथ ही सरसों की बीजों को बुवाई करने से पहले दो से तीन बार जुताई जरूर करें ताकि मिट्टी भुरभुरी हो सके और इसके बाद में पाटा की मदद से मिट्टी को समतल करें.

खाद और सिंचाई का समय

बीजों की बुवाई से पहले खेत में गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट आवश्य मिलाएं. सरसों की बीजों को बोने का सबसे बेस्ट टाइम अक्टूबर से नवंबर के बीच का होता है. ध्यान रहे की बीजों के बीच उचित दूरी हो ताकि पौधों की जड़े अच्छे से फैल सकें. सरसों की खेत की पहली सिंचाई बुवाई के समय, दूसरी 25-30 दिन बाद, तीसरी 45-50 दिन बाद और चौथी 70-80 दिन बाद करें. फसल की बेहतर उपज के लिए मिट्टी में नाइट्रोजन 60-80 किलोग्राम, फास्फोरस 40-50 किलोग्राम, पोटाश 30 किलोग्राम और सल्फर का 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर इस्तेमाल करें.

दीमक और चितकबरा रोग से कैसे बचाएं फसल

इसके साथ ही फसलों को दीमक, चितकबरा और अन्य कीटों से बचाने के लिए क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत और मटमैले बीमारी से बचाने के लिए मैनकोजेब 75 प्रतिशत डब्ल्यूपी का छिड़काव करें. वहीं फसलों की कटाई तब करें जब सरसों की फलियां पीली हो जाएं.

Published: 10 Apr, 2025 | 09:20 AM

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