सरसों की ये किस्म 133 दिन में दिलाएगी डबल पैदावार, 42 फीसदी निकलता है तेल
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने दो नई किस्म की सरसों विकसित की है, जिनमें कम एरुसिक एसिड और ग्लुकोसिनोलेट होता है. ये किस्में, पुसा सरसों 35 और पुसा सरसों 36, अधिक उत्पादन और बेहतर गुणवत्ता वाले तेल के लिए जानी जाती हैं.

आज के समय में किसानों की अधिक आय बढ़ाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों और कृषि विश्वविद्यालय लगातार फसलों की नई किस्मों को विकसित कर रहे हैं. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के अनुसार कृषि वैज्ञानिकों ने सरसों की नई किस्म पूसा डबल जीरो सरसों 35 और 36 हैं (Pusa Mustard 35) विकसित की है. इस किस्म की सरसों में तेल अच्छी क्वालिटी होती है. इसका तेल हेल्दी और खली पशु आहार के लिए सुरक्षित मानी जाती है.
क्यों करें नई सरसों किस्म की बुवाई
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार पूसा सरसों 35 (Pusa Mustard 35) और पुसा सरसों 36 (Pusa Mustard 36) में एर्यूसिक एसिड की मात्रा 2 फीसदी से कम है और 30 पीपीएम ग्लूकोसाइनोलेट है. बता दें की एर्यूसिक एसिड एक प्रकार का फैटी एसिड है जो अधिक मात्रा में सेवन करने पर हर्ट और लिवर से जुड़ी बीमारियां पैदा कर सकता है. वहीं, ग्लूकोसिनोलेट के अधिक इस्तेमाल से पशुओं में सफेद रतुआ रोग यानी व्हाइट रस्ट, अल्टरनेरिया ब्लाइट यानी फफूंदी रोग, स्केलेरोटिनिया स्टेम रॉट यानी फफूंदी रोग, डाउनी फफूंद और पाउडरी फफूंद रोग जैसी बीमारियां उत्पन्न हो सकती है. लेकिन सरसों की इन दोनों नई किस्मों में इन तत्वों की मात्रा यूरोपीय खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण (EFSA) और कोडेक्स जैसे अंतरराष्ट्रीय स्टैंडर्ड्स के अनुकूल हैं.
133 दिन में तैयार हो जाती है फसल
पूसा डबल जीरो मस्टर्ड 36 की किस्म में औसत उत्पादन 2,019 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होता है. यह मध्यम परिपक्वता (medium maturity) वाली किस्म है, जो 129 से 133 दिनों में तैयार की जाती है. इसके अलावा इन दोनों किस्मों की अच्छी उपज सिंचित क्षेत्र जैसे मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान में हो सकती है, जिससे पहाड़ी किसानों को अधिक लाभ मिल सकता है.
सबसे ज्यादा 42 फीसदी निकलता है तेल
पूसा सरसों 35 का प्रति हेक्टेयर उत्पादन 2,184 किलोग्राम तक होता है. जबकि पूसा सरसों 36 का प्रति हेक्टेयर उत्पादन 2,019 किलोग्राम होता है. इन किस्मों के बीज का तेल फीसदी भी अधिक है, जिसमें पूसा सरसों 35 में तेल 42.05 फीसदी निकलता है. जबकि, पुसा सरसों 36 किस्म में तेल उत्पादन 41.82 फीसदी तक होता है. इसके अलावा इन दोनों किस्मों को तैयार होने में कम से कम 129 से 133 दिनों का समय लगता है.