केले की खेती से पहले जानें इसकी किस्में, फिर करें सही तरीके से रोपाई
केला अपने स्वाद, इसमें मौजूद पोषक तत्व और औषधीय गुणों के कारण पूरे साल बाजार में मौजूद रहता है.

भारत के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग फलों की पैदावार की जाती है. देश में केला, आम के बाद सबसे महत्वपूर्ण फलों की फसल मानी जाती है. केला अपने स्वाद, इसमें मौजूद पोषक तत्व और औषधीय गुणों के कारण यह पूरे साल मौजूद रहता है. आइए जानते हैं कि देश के कौन से हिस्से में उगाया जाता है केला और इसके लिए कौन सी मिट्टी उपयुक्त होती है?
केले का उत्पादन और प्रमुख राज्य
केले के उत्पादन में भारत पहले स्थान पर है और कुल फलों के क्षेत्र में यह तीसरे स्थान पर आता है. महाराष्ट्र राज्य को केले की सर्वाधिक पैदावार होती है, जबकि अन्य प्रमुख उत्पादक राज्यों में कर्नाटक, गुजरात, आंध्र प्रदेश और असम शामिल हैं.
खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी
केला अलग प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है, लेकिन इसकी बेहतरीन उपज के लिए उपजाऊ और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी आवश्यक होती है. दोमट, गहरी गाद युक्त चिकनी मिट्टी और अधिक पोषक तत्वों वाली मिट्टी इसके लिए उपयुक्त मानी जाती है.
मिट्टी का pH स्तर 6 से 7.5 के बीच होना चाहिए. इसमें नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश की संतुलित मात्रा जरूरी होती है. इसके साथ ही जलभराव, कम हवादार, अत्यधिक चिकनी या कैल्शियम युक्त मिट्टी में केले की खेती से बचना चाहिए.
केले की प्रमुख किस्में
-ग्रैंड नैन (Grand Naine)- यह किस्म 2008 में जारी की गई थी और एशियाई जलवायु के लिए उपयुक्त मानी जाती है. एक पौधा औसतन 25-30 किलो तक फल देता है.
-रेड बनाना (Red Banana)
-सफेद वेलाची (Safed Velachi)
-बसारई (Basarai)
-रस्थाली (Rasthali)
-ड्वार्फ कैवेंडिश (Dwarf Cavendish)
-रोबस्टा (Robusta)
-पूवन (Poovan)
-नेंद्रन (Nendran)
-अर्धपुरी (Ardhapuri)
-न्याली (Nyali)
-बिजाई का समय और रोपाई की दूरी
केले की फसल की बिजाई का सबसे उपयुक्त समय मध्य फरवरी से मार्च के पहले सप्ताह तक होता है. उत्तर भारत के तटीय क्षेत्रों में, जहां तापमान 5-7 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है, वहां पौधों के बीच 1.8 मीटर x 1.8 मीटर की दूरी बनाए रखना आवश्यक है.
भारत में केले की खेती किसानों के लिए एक लाभदायक बिजनेस बनती जा रही है. सही किस्म के चुनाव और वैज्ञानिक तरीके से खेती करने पर यह फसल अच्छी उपज और मुनाफा दे सकती है.
केले के गुण
केले में कार्बोहाइड्रेट और विटामिन बी का समृद्ध स्रोत है, जो दिल की बीमारियों के खतरे को कम करने में सहायक है. इसे गठिया, हाई ब्लड प्रेशर, अल्सर, गैस्ट्रोएंटराइटिस और किडनी से जुड़ी समस्याओं के लिए भी लाभकारी माना जाता है.
केले से अलग प्रकार के प्रोडक्ट्स जैसे चिप्स, प्यूरी, जैम, जेली और जूस तैयार किए जाते हैं. इसके अलावा, केले के फाइबर से बैग, बर्तन और वॉली हैंगर जैसे उपयोगी सामान बनाए जाते हैं. केले के अवशेषों से रस्सी और हाई क्वालिटी वाला कागज भी तैयार किया जा सकता है.