खेती को विज्ञान से जोड़ना जरूरी, 730 कृषि विज्ञान केद्रों की भूमिका बढ़ेगी

प्रयोगशाला और भूमि के बीच की खाई को पाटना ही नहीं चाहिए, बल्कि दोनों के बीच एक सहज संबंध होना चाहिए. विज्ञान और खेती एक साथ होने चाहिए और इसके लिए देश के कृषि विज्ञान केंद्रों की अहम भूमिका होगी.

खेती को विज्ञान से जोड़ना जरूरी, 730 कृषि विज्ञान केद्रों की भूमिका बढ़ेगी
नोएडा | Updated On: 27 Apr, 2025 | 05:24 PM

कृषि को विज्ञान से जोड़ने के लिए प्रयोगशालाओं को भूमि से जुड़ना होगा और देश के 730 कृषि विज्ञान केंद्रों को किसानों के लिए और भी अधिक जीवंत बनाना होगा. यह बात उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने तमिलनाडु एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (TNAU) में अपने संबोधन में कहीं. उन्होंने आगे कहा कि देश के विकास के लिए किसान समृद्धि जरूरी है और कृषि विकास के लिए इसे विज्ञान से जोड़ना ही होगा. भारत हमेशा से कृषि प्रधान देश रहा है. यह अर्थव्यवस्था की जीवन रेखा है, राष्ट्र की रीढ़ की हड्डी है.

विज्ञान और कृषि की खाई पाटनी होगी

भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने तमिलनाडु एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (TNAU) में अपने संबोधन में कहा कि किसानों की समृद्धि जरूरी है और इसके लिए की ओर बढ़ना चाहिए. प्रयोगशाला और भूमि के बीच की खाई को पाटना ही नहीं चाहिए, बल्कि दोनों के बीच एक सहज संबंध होना चाहिए. विज्ञान और खेती एक साथ होने चाहिए और इसके लिए देश के कृषि विज्ञान केंद्रों की अहम भूमिका होगी.

कृषि विज्ञान केंद्रों को किसानों तक पहुंच बेहतर होगी

उपराष्ट्रपति ने कहा कि खेती को वैज्ञानिक तरीके से करने के लिए देशभर के 730 से अधिक कृषि विज्ञान केंद्रों को किसानों के साथ बातचीत के जीवंत केंद्र बनना होगा. इसके लिए कृषि शिक्षा को पाइपलाइन के रूप में उभरकर सामने आना होगा. उन्होंने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्रों के जरिए किसानों तक उन्नत बीज, खाद, मशीन और अन्य सामग्री के साथ आधुनिक विधियों और तरीकों को भी पहुंचाना होगा.

किसान हमारा अन्नदाता और भाग्यविधाता है

उन्होंने कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद में ही 150 से अधिक संस्थान हैं जो कृषि विज्ञान के हर पहलू पर ध्यान केंद्रित करते हैं. उन्होंने कहा कि महान कवि और संत तिरुवल्लुवर ने कहा है कि किसान मानवता की आधारशिला हैं और कृषि सबसे प्रमुख शिल्प है. भारत हमेशा से कृषि प्रधान देश रहा है. यह अर्थव्यवस्था की जीवन रेखा है, राष्ट्र की रीढ़ की हड्डी है. किसान हमारा अन्नदाता है, हमारा भाग्यविधाता है.

अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान बढ़ाना होगा

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि राष्ट्रीय कृषि एजेंडे के लिए खाद्य सुरक्षा से किसान समृद्धि की ओर बढ़ने का समय आ गया है और किसानों को सिर्फ उत्पादक होने से ऊपर उठना होगा. उन्होंने कहा कि 46 फीसदी आबादी कृषि का समर्थन करती है.  फिर भी यह क्षेत्र सकल घरेलू उत्पाद में केवल 16 फीसदी का योगदान देता है. इस हिस्सेदारी को हर हाल में बढ़ाना होगा.  उन्होंने कहा कि टीएनएयू जैसे संस्थानों को अनुभवी कृषि वैज्ञानिक, दिवंगत डॉ. एमएस स्वामीनाथन की विरासत को आगे बढ़ाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हमारे सकल घरेलू उत्पाद में इस क्षेत्र के योगदान में भारी उछाल आए.

Published: 27 Apr, 2025 | 05:17 PM

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